अमित शाह ने बोले- सहकारी संस्थाओं में नहीं चलेगा भाई-भतीजावाद

दिल्ली। केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शनिवार को गुजरात के आनंद में देश के पहले सहकारी विश्वविद्यालय “त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय” का भूमि पूजन किया। इस मौके पर शाह ने कहा कि इस विश्वविद्यालय की स्थापना से सहकारी संस्थाओं में भाई-भतीजावाद खत्म होगा और पारदर्शिता तथा जवाबदेही को बढ़ावा मिलेगा। अमित शाह ने बताया कि पहले सहकारी संस्थाओं में नियुक्त कर्मचारियों को बाद में प्रशिक्षण दिया जाता था, लेकिन अब विश्वविद्यालय बनने के बाद केवल प्रशिक्षित युवाओं को ही सहकारिता क्षेत्र में नौकरियां मिलेंगी। इस विश्वविद्यालय में युवाओं को तकनीकी दक्षता, लेखा-जोखा, वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मार्केटिंग कौशल और सहकारिता के मूल्य जैसे-दलितों, आदिवासियों और महिलाओं के कल्याण की भावना की शिक्षा दी जाएगी।

शाह ने इसे सहकारी क्षेत्र के लिए ऐतिहासिक दिन बताया और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने त्रिभुवनदास पटेल को सच्ची श्रद्धांजलि दी है। उन्होंने बताया कि चार साल पहले प्रधानमंत्री मोदी ने सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की थी ताकि ग्रामीण और गरीब जनता की आर्थिक समृद्धि सुनिश्चित की जा सके। पिछले चार वर्षों में मंत्रालय ने 60 से अधिक नए कदम उठाए हैं। अमित शाह ने कहा कि “त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय” की स्थापना 125 एकड़ में की जा रही है और इसका निर्माण 500 करोड़ रुपये की लागत से होगा। यह विश्वविद्यालय न केवल सहकारी कर्मचारियों को प्रशिक्षित करेगा, बल्कि भावी सहकारी नेतृत्व तैयार करेगा, जो देश में सहकारिता आंदोलन को आगे बढ़ाएगा।

उन्होंने बताया कि देशभर में 40 लाख सहकारी कर्मचारी, 80 लाख बोर्ड सदस्य और 30 करोड़ से अधिक लोग यानि हर चौथा भारतीय सहकारी आंदोलन से जुडा है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सहकारिता तेजी से आगे बढ़ रही है। शाह ने यह भी जानकारी दी कि देश में 2 लाख नई प्राथमिक कृषि साख समितियों (PACS) बनाई जाएंगी, जिनमें से 60,000 PACS इस साल के अंत तक बन जाएंगी। केवल PACS में ही 17 लाख कर्मचारियों की आवश्यकता होगी, जिसकी पूर्ति यह विश्वविद्यालय करेगा।

यह विश्वविद्यालय सहकारी नीतियों के निर्माण, डेटा विश्लेषण और 5, 10 और 25 वर्ष की रणनीति बनाने का कार्य भी करेगा। शोध को भी विश्वविद्यालय से जोड़ा गया है। इसके अलावा, CBSE बोर्ड ने कक्षा 9 से 12 तक के पाठ्यक्रम में सहकारिता को विषय के रूप में शामिल किया है। शाह ने गुजरात सरकार से भी राज्य पाठ्यक्रम में इसे शामिल करने की अपील की। अमित शाह ने कहा कि यह विश्वविद्यालय त्रिभुवनदास किशिदास पटेल के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने देश में सहकारिता आंदोलन की मजबूत नींव रखी। यह संस्थान पारदर्शिता, उत्तरदायित्व, शोध और सहकारी संघवाद की भावना को मजबूत करेगा।