Author : Aashika Singh

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उत्तर-पूर्व लगातार विकास और नवाचार की नई ऊंचाइयों को छू रहा है। बुनियादी ढांचा, कनेक्टिविटी, ऊर्जा और उद्योग से जुड़ी योजनाओं के बाद अब हरित ऊर्जा का तोहफ़ा क्षेत्र के भविष्य को और भी सशक्त करेगा।
पहली बांस-आधारित बायोरिफाइनरी परियोजना
भारत के हरित ऊर्जा क्षेत्र में ऐतिहासिक कदम उठाते हुए पीएम मोदी 14 सितंबर 2025 को असम के गोलाघाट ज़िले के नुमालिगढ़ में स्थापित देश की पहली बांस-आधारित बायोरिफाइनरी परियोजना को राष्ट्र को समर्पित करेंगे। यह परियोजना न केवल ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में क्रांतिकारी पहल है बल्कि पूर्वोत्तर भारत को हरित औद्योगिक परिवर्तन का केंद्र बनाने का मार्ग भी प्रशस्त करेगी।
असम के सीएम ने एक्स पर लिखा
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म X पर परियोजना की तस्वीरें साझा करते हुए लिखा, “यह भारत की पहली बांस-आधारित बायोरिफाइनरी परियोजना है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी 14 सितंबर को इसे राष्ट्र को समर्पित करेंगे। जुड़े रहिए।”
प्रतिवर्ष तीन लाख मीट्रिक टन बांस का प्रसंस्करण
1700 करोड़ रुपये से अधिक निवेश और फ़िनलैंड की कंपनी चेमपॉलिस ओई के सहयोग से विकसित नुमालिगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड (NRL) की इस परियोजना में प्रतिवर्ष तीन लाख मीट्रिक टन बांस का प्रसंस्करण होगा। इसके माध्यम से एथेनॉल, फर्फ्यूरल और एसिटिक एसिड का उत्पादन किया जाएगा।
ग्रामीण आजीविका को बढ़ावा
यह रिफाइनरी किसानों और उद्यमियों को स्थायी आय का स्रोत उपलब्ध कराएगी, ग्रामीण आजीविका को बढ़ावा देगी और भारत के 2030 तक 20% एथेनॉल मिश्रण लक्ष्य को हासिल करने में महत्वपूर्ण योगदान देगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह परियोजना भारत के बायोफ्यूल उद्योग को नई दिशा देने के साथ-साथ उत्तर-पूर्व को हरित औद्योगिक क्रांति का मुख्य केंद्र बनाएगी।
-(लेखिका को पत्रकारिता जगत में 18 वर्षों का अनुभव है, वर्तमान में वे प्रसार भारती न्यूज सर्विस के साथ जुड़ी हैं)