कमर और लंबाई का अनुपात बताएगा दिल की बीमारी का सही खतरा

कमर और लंबाई का अनुपात बताएगा दिल की बीमारी का सही खतरा

दिल की बीमारी आज दुनिया भर में सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। कई लोग इसे सिर्फ मोटापे, हाई कोलेस्ट्रॉल या हाई ब्लड प्रेशर से जोड़ते हैं, लेकिन एक नई रिसर्च में सामने आया है कि ये तरीके हमेशा सही नहीं होते।  

बहुत से लोग जिनका वजन सामान्य या सिर्फ हल्का ज्यादा है, उन्हें यह खतरा नजर नहीं आता

बहुत से लोग जिनका वजन सामान्य या सिर्फ हल्का ज्यादा है, उन्हें यह खतरा नजर नहीं आता। ऐसे लोगों में दिल की बीमारी का खतरा तब भी मौजूद हो सकता है, जब उनका बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) सामान्य सीमा के अंतर्गत होता है। द लैंसेट रीजनल हेल्थ-अमेरिकाज में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि कमर का नाप और ऊंचाई का अनुपात (वेस्ट-टू-हाइट), दिल की बीमारी का खतरा पहचानने का सबसे भरोसेमंद तरीका हो सकता है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि इस खोज के बाद डॉक्टर और आम लोग दिल की बीमारी का खतरा समझने के नए तरीके अपना सकते हैं

शोधकर्ताओं का कहना है कि इस खोज के बाद डॉक्टर और आम लोग दिल की बीमारी का खतरा समझने के नए तरीके अपना सकते हैं। यह खासकर उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो बीएमआई के हिसाब से मोटापे की श्रेणी में नहीं आते, लेकिन फिर भी जोखिम में हो सकते हैं।

शोध में पाया गया कि बीएमआई, कमर का नाप और ऊंचाई का अनुपात सभी दिल की बीमारी के खतरे से जुड़े हैं

अमेरिका के पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय के प्रमुख लेखक थियागो बोस्को मेंडेस ने कहा, “शुरुआती विश्लेषण में बीएमआई, कमर का नाप और ऊंचाई का अनुपात सभी दिल की बीमारी के भविष्य के खतरे से जुड़े दिखे। लेकिन जब उम्र, लिंग, धूम्रपान, एक्सरसाइज, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल जैसे अन्य आम जोखिम वाले कारकों को ध्यान से देखा, तो केवल वेस्ट-टू-हाइट का अनुपात ही भविष्यवाणी करने वाला महत्वपूर्ण उपाय बनकर सामने आया।”

शोध में 2,721 स्वस्थ वयस्कों को पांच साल तक ट्रैक कर यह देखा गया कि कौन-सी माप दिल की बीमारी का सही संकेत देती है

शोध में 2,721 वयस्कों का डाटा शामिल किया गया, जिन्हें कोई हृदय रोग नहीं था। इन लोगों को पांच साल से अधिक समय तक ट्रैक किया गया ताकि देखा जा सके कि कौन सी माप दिल की बीमारी के खतरे की सही पहचान करती है। परिणामों से पता चला कि यह तरीका खासकर उन लोगों में काम करता है जिनका बीएमआई 30 से कम है। ऐसे लोग अक्सर खुद को मोटापे या दिल की बीमारी के जोखिम में नहीं समझते, लेकिन वेस्ट-टू-हाइट का अनुपात उन्हें सही चेतावनी दे सकता है।

बीएमआई सिर्फ वजन और ऊंचाई के आधार पर गणना करता है और यह नहीं बताता कि शरीर में फैट कहां जमा हुआ है

बीएमआई सिर्फ वजन और ऊंचाई के आधार पर गणना करता है और यह नहीं बताता कि शरीर में फैट कहां जमा हुआ है। पेट के चारों ओर जमा फैट, जिसे सेंट्रल ओबेसिटी कहा जाता है, दिल की बीमारी से सीधे जुड़ा होता है। वेस्ट-टू-हाइट का अनुपात इस सेंट्रल फैट को दर्शाता है और इसलिए यह दिल की बीमारी का बेहतर संकेतक माना जा सकता है।

अध्ययन में पाया गया कि बीएमआई 30 से कम लेकिन वेस्ट-टू-हाइट अनुपात 0.5 से अधिक होने पर दिल की धमनियों में कैल्शियम जमने का खतरा बढ़ जाता है

अध्ययन में यह भी सामने आया कि जिन लोगों का बीएमआई 30 से कम था, लेकिन उनका वेस्ट-टू-हाइट का अनुपात 0.5 से ज्यादा था, उन्हें भविष्य में कोरोनरी आर्टरी कैल्सिफिकेशन यानी दिल की धमनियों में कैल्शियम जमा होने का खतरा अधिक था। यह दिल की बीमारी का एक प्रमुख संकेतक है।

प्रो. मार्सियो बिट्टनकोर्ट के अनुसार, वेस्ट-टू-हाइट अनुपात दिल की बीमारी की पहचान का सरल और प्रभावी तरीका है

पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय में मेडिसिन के एसोसिएट प्रोफेसर और वरिष्ठ लेखक मार्सियो बिट्टनकोर्ट ने कहा, ”वेस्ट-टू-हाइट के अनुपात का इस्तेमाल एक सरल और प्रभावशाली स्क्रीनिंग टूल के रूप में किया जा सकता है। यानी जिन मरीजों के अन्य पैरामीटर जैसे वजन, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल सामान्य दिखते हैं, उनके दिल की बीमारी का खतरा भी पहचाना जा सकता है। इस तरीके से समय रहते पहचान और इलाज संभव है, जिससे गंभीर रोगों और दिल के दौरे का खतरा कम किया जा सकता है।