किसानों की भलाई पर सौम्या स्वामीनाथन ने की पीएम मोदी की सराहना, कहा- दबाव में नहीं झुकने का साहसिक संदेश

किसानों की भलाई पर सौम्या स्वामीनाथन ने की पीएम मोदी की सराहना, कहा- दबाव में नहीं झुकने का साहसिक संदेश

दिल्ली। एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन की चेयरपर्सन और डब्ल्यूएचओ (WHO) की पूर्व डिप्टी डायरेक्टर-जनरल प्रोफेसर सौम्या स्वामीनाथन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की किसानों की भलाई के लिए मजबूत प्रतिबद्धता की सराहना की है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने स्पष्ट किया है कि वे किसानों, मछुआरों और जनजातीय समुदायों के अधिकारों की रक्षा के लिए किसी भी प्रकार के अंतरराष्ट्रीय दबाव के आगे नहीं झुकेंगे।

सौम्या स्वामीनाथन ने कहा, “मेरे पिता (एमएस स्वामीनाथन) बहुत खुश होते कि प्रधानमंत्री ने किसानों, मछुआरों और आदिवासी समुदायों के लिए इतनी दृढ़ता से समर्थन का संदेश दिया। उन्होंने यह कई बार दोहराया और यह भी स्पष्ट किया कि वे किसी प्रकार के दबाव में नहीं आएंगे और किसानों की भलाई को सर्वोपरि रखेंगे।”

उन्होंने भू-राजनीतिक दबावों से निपटने की तैयारी पर बल देते हुए वैज्ञानिकों, तकनीकी विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं और किसानों को एक साथ मिलकर समाधान खोजने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा, “आज हमें मिलकर आगे की राह सोचनी होगी कैसे हम वैश्विक दबावों का सामना करें, भारत किस दिशा में आगे बढ़े इस पर साझा विचार जरूरी है।”

सौम्या स्वामिनाथन ने यह भी कहा कि भारत खाद्यान्न उत्पादन में पहले ही आत्मनिर्भर है, लेकिन वैश्विक समुदाय का हिस्सा होने के नाते हमें पारस्परिक निर्भरता को ध्यान में रखकर पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान-तकनीक के समन्वय से आगे बढ़ना होगा। उन्होंने कहा, “हम आत्मनिर्भर हैं, लेकिन दुनिया से जुड़े हुए भी हैं। जैसे प्रधानमंत्री ने कहा, विज्ञान और पारंपरिक ज्ञान के संतुलन से हम आगे का रास्ता निकाल सकते हैं।”

इस विचार को समर्थन देते हुए राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (ICAR) के पूर्व निदेशक प्रो. के.सी. बंसल ने कहा कि भारत के पास किसानों को तकनीकी सहायता देने की पूरी क्षमता है और हमें ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में लगातार प्रयास करते रहना चाहिए। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री का संदेश हम वैज्ञानिकों के लिए गर्व की बात है। हमारा पारंपरिक ज्ञान और प्रतिभा वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त है। हमें तकनीक के जरिए किसानों की मदद करनी चाहिए और नई पहलें विकसित करनी चाहिए।”

मर्डोक यूनिवर्सिटी (ऑस्ट्रेलिया) के फूड फ्यूचर्स इंस्टीट्यूट में इंटरनेशनल चेयर राजीव वार्ष्णेय मर्डोक ने भी अमेरिकी टैरिफ पर चिंता जताई। उन्होंने कहा, “भारत में खेती व्यवसाय नहीं, जीवनयापन का साधन है। अमेरिका जैसे देशों में जहां कृषि बड़े उद्योगों द्वारा संचालित होती है, भारत में छोटे किसान ही कृषि की रीढ़ हैं। अगर इन पर भारी शुल्क लगाया गया तो यह कृषि क्षेत्र के लिए बड़ी चुनौती होगी। प्रधानमंत्री का रुख किसानों के हितों की रक्षा के लिए जरूरी है।”

गौरतलब है कि इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने आज गुरुवार को एमएस स्वामीनाथन शताब्दी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में कहा, “हमारे लिए किसानों के हित पहले हैं। भारत कभी भी अपने किसानों, मछुआरों और डेयरी किसानों के कल्याण से समझौता नहीं करेगा। मुझे पता है कि इसके लिए कीमत चुकानी पड़ सकती है और मैं इसके लिए तैयार हूं। भारत तैयार है।”