
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने शुक्रवार को कोयला लिंकेज की नीलामी नीति में सुधार करते हुए निर्बाध, कुशल और पारदर्शी उपयोग (कोलसेतु) के लिए नई विंडो को मंजूरी दे दी है। इस नई विंडो के माध्यम से किसी भी औद्योगिक उपयोग और निर्यात के लिए कोयले का आवंटन किया जा सकेगा। इसे एनआरएस लिंकेज नीति में शामिल किया गया है। यह कदम कोयला क्षेत्र में सरकार के चल रहे सुधारों को और गति देगा।
कोयले के आसान, कुशल और पारदर्शी इस्तेमाल के लिए एक नया रास्ता
इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर लिखा, “कैबिनेट ने ‘कोलसेतु’ पॉलिसी को मंजूरी दे दी है, जिससे कोयले के आसान, कुशल और पारदर्शी इस्तेमाल के लिए एक नया रास्ता खुलेगा। इससे इज ऑफ डूइंग बिजनेस में मदद मिलेगी, देश में कोयले की उपलब्धता बढ़ेगी और आयातित कोयले पर निर्भरता कम होगी। यह कदम भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेगा और विकास को तेज करेगा।”
लिंकेज नीलामी नीति में ‘कोलसेतु’ नामक अलग विंडो
नई नीति 2016 की एनआरएस (नॉन-रेगुलेटेड सेक्टर) लिंकेज नीलामी नीति में ‘कोलसेतु’ नामक अलग विंडो जोड़ती है, जिसके तहत नीलामी के माध्यम से दीर्घकालिक कोयला लिंकेज किसी भी घरेलू औद्योगिक उपभोक्ता या निर्यात उद्देश्य के लिए आवंटित किया जा सकेगा। इस विंडो में कोकिंग कोल की पेशकश नहीं की जाएगी।
कोयला लिंकेज नीलामी के आधार पर आवंटित
मौजूदा नीति के अनुसार, एनआरएस- जैसे सीमेंट, स्टील (कोकिंग), स्पंज आयरन, एल्युमीनियम और अन्य (उर्वरक-यूरिया को छोड़कर) तथा उनके कैप्टिव पावर प्लांट्स के लिए सभी नए कोयला लिंकेज नीलामी के आधार पर आवंटित किए जाते हैं। वर्तमान व्यवस्था में सब-सेक्टर केवल निर्दिष्ट अंतिम उपयोगकर्ताओं तक सीमित हैं।
एनआरएस नीति में संशोधन कर यह नई विंडो जोड़ी गई
बदलते बाजार परिदृश्य और ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ को ध्यान में रखते हुए, तथा देश की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने और आयातित कोयले पर निर्भरता कम करने के लिए मौजूदा कोयला भंडारों के बेहतर उपयोग की आवश्यकता महसूस की गई। इसी के तहत, वाणिज्यिक खनन की तर्ज़ पर जहां अंतिम उपयोग की कोई बाध्यता नहीं होती एनआरएस नीति में संशोधन कर यह नई विंडो जोड़ी गई है, जो किसी भी औद्योगिक उपयोग और निर्यात के लिए दीर्घकालिक कोयला लिंकेज की अनुमति देगी।
निर्दिष्ट एंड-यूजर सब सेक्टरों के लिए मौजूदा लिंकेज नीलामी प्रक्रिया जारी रहेगी
हालांकि, इस विंडो में ट्रेडर्स को भाग लेने की अनुमति नहीं होगी। निर्दिष्ट एंड-यूजर सब-सेक्टरों के लिए मौजूदा लिंकेज नीलामी प्रक्रिया जारी रहेगी। ये निर्दिष्ट उपयोगकर्ता नए सब-सेक्टर (कोलसेतु) विंडो में भी भाग ले सकेंगे।
रीसेल की अनुमति नहीं
इस विंडो के तहत प्राप्त कोयला लिंकेज का उपयोग देश के भीतर स्वयं की खपत, कोयला वाशिंग, अन्य औद्योगिक जरूरतों तथा कोयले के निर्यात के लिए किया जा सकेगा। रीसेल की अनुमति नहीं होगी। कोयला लिंकेज होल्डर्स अपनी लिंकेज मात्रा का 50% तक निर्यात कर सकेंगे।
धुला हुआ कोयला निर्यात के लिए भी उपयोग किया जा सकेगा
इसके अलावा, लिंकेज धारक अपनी समूह कंपनियों के बीच कोयले का उपयोग लचीले ढंग से कर सकेंगे। वाशड कोल की बढ़ती मांग को देखते हुए, वॉशरी ऑपरेटर्स को लिंकेज प्रदान किए जाने से देश में बेहतर गुणवत्ता वाले धुले कोयले की उपलब्धता बढ़ेगी, जिससे आयात में कमी आएगी। धुला हुआ कोयला निर्यात के लिए भी उपयोग किया जा सकेगा। (इनपुट: आईएएनएस)
