
केंद्र सरकार ने आयकर विधेयक 2025 को वापस लेने का फैसला लिया है। अब इसे संशोधित रूप में संसद में दोबारा पेश किया जाएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज शुक्रवार को लोकसभा में यह प्रस्ताव रखा, जिसे विपक्ष के शोर-शराबे के बीच मंजूरी मिल गई। यह निर्णय उस 31 सदस्यीय चयन समिति की सिफारिशों के आधार पर लिया गया है जिसकी अध्यक्षता भाजपा सांसद बैजयंत पांडा कर रहे थे।
इस चयन समिति ने 21 जुलाई 2025 को मानसून सत्र के पहले दिन अपनी 4,584 पन्नों की विस्तृत रिपोर्ट लोकसभा में प्रस्तुत की थी। इस रिपोर्ट का उद्देश्य 1961 के मौजूदा आयकर अधिनियम की भाषा और ढांचे को सरल बनाना, और उसे आज की आर्थिक और कानूनी जरूरतों के अनुसार तैयार करना था। समिति ने कुल 566 सुझाव दिए हैं, जिनमें ड्राफ्ट में सुधार और विभिन्न हितधारकों के सुझाव शामिल हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि नया कानून स्पष्ट हो और किसी भ्रम की स्थिति न रहे।
प्रमुख सिफारिशों में यह प्रस्ताव भी शामिल है कि करदाता यदि तय समय सीमा के बाद भी आयकर रिटर्न दाखिल करें, तो उन्हें रिफंड की सुविधा दी जा सके। इससे लाखों करदाताओं को राहत मिलने की संभावना है। इसके अलावा, समिति ने सूक्ष्म और लघु उद्यमों (MSME) की परिभाषा को एमएसएमई अधिनियम के अनुरूप करने, गैर-लाभकारी संगठनों के लिए कर नियमों को स्पष्ट करने, “आय” और “रसीद” जैसे शब्दों के उपयोग में स्पष्टता लाने, अज्ञात दान के प्रावधान को स्पष्ट करने और “डीम्ड एप्लीकेशन” की अवधारणा को हटाने की सिफारिश की है। इसके अलावा, रिपोर्ट में अग्रिम निर्णय शुल्क , भविष्य निधि पर टीडीएस, लो-टैक्स सर्टिफिकेट और दंडात्मक शक्तियों को स्पष्ट करने के लिए भी संशोधन की सिफारिश की गई है।
आयकर विधेयक 2025 को मूल रूप से 13 फरवरी 2025 को लोकसभा में पेश किया गया था। यह केंद्रीय बजट 2024 का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था, जिसका उद्देश्य था कि मौजूदा आयकर अधिनियम 1961 का व्यापक पुनर्गठन किया जाए, कर प्रावधानों को सरल बनाया जाए और कानूनी विवादों को कम किया जाए। अब यह विधेयक संशोधित रूप में, चयन समिति की सिफारिशों को शामिल करते हुए, संसद में दोबारा पेश किया जाएगा।
