खो-खो को AIESCB के खेल कैलेंडर में मिली आधिकारिक मान्यता, पारंपरिक भारतीय खेल का नया स्वर्ण युग

खो-खो को AIESCB के खेल कैलेंडर में मिली आधिकारिक मान्यता, पारंपरिक भारतीय खेल का नया स्वर्ण युग

दिल्ली। खो-खो अब क्रिकेट, हॉकी, कबड्डी जैसे 16 प्रमुख खेलों के समकक्ष होगा। महज इतना ही नहीं, अब इससे खिलाड़ियों को  रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। जी हां, भारतीय पारंपरिक खेल खो-खो ने खेल जगत में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। अखिल भारतीय विद्युत क्रीड़ा नियंत्रण बोर्ड (AIESCB) ने अपनी मुंबई में आयोजित वार्षिक आम सभा बैठक में खो-खो को अपने आधिकारिक खेल कैलेंडर में शामिल करने का निर्णय लिया है। इस फैसले के तहत खो-खो को क्रिकेट, फुटबॉल, हॉकी, कबड्डी, बैडमिंटन और टेनिस जैसे 16 अन्य प्रमुख खेलों के समकक्ष स्थान दिया गया है।

AIESCB की मान्यता से नई संभावनाएं

AIESCB, जो भारत के ऊर्जा और विद्युत क्षेत्रों से जुड़े विभागों की प्रमुख खेल संस्था है, वर्षों से विभिन्न खेलों को बढ़ावा दे रही है। खो-खो को इस कैलेंडर में शामिल करने से न केवल खिलाड़ियों को प्रतिस्पर्धी मंच मिलेगा, बल्कि खेल कोटे के तहत रोजगार के स्थायी अवसर भी उपलब्ध होंगे। इससे पहले भारतीय सेना और भारतीय रेल जैसी संस्थाओं ने भी खो-खो को अपने खेल कैलेंडर में शामिल किया था, और अब AIESCB की मान्यता ने इस खेल की राष्ट्रीय पहचान को और मजबूत किया है।

खो-खो फेडरेशन ने जताई खुशी

खो-खो फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष सुधांशु मित्तल ने इस उपलब्धि को “खेल की बढ़ती राष्ट्रीय प्रासंगिकता की पुष्टि” करार दिया। उन्होंने कहा, “यह केवल प्रतीकात्मक मान्यता नहीं है। खो-खो अब ग्रामीण और अर्ध-शहरी भारत के युवाओं के लिए एक व्यावसायिक करियर विकल्प के रूप में अपनाने के लिए प्रेरित करेगा। सरकारी विभागों में खो-खो टीमों का गठन और खिलाड़ियों को नियुक्ति में प्राथमिकता इसे और ठोस बनाएगी।”

उच्चतम न्यायालय महोत्सव में भी खो-खो की धूम

इस महीने की शुरुआत में भारत के उच्चतम न्यायालय के वार्षिक खेल महोत्सव में पहली बार खो-खो को शामिल किया गया, जिसने इस खेल की प्रतिष्ठा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। यह कदम दर्शाता है कि खो-खो अब केवल गांवों के मैदानों तक सीमित नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय और संस्थागत मंचों पर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रहा है।

भविष्य के लिए उम्मीदें

खो-खो की यह उपलब्धि न केवल खेल के प्रति उत्साह को बढ़ाएगी, बल्कि युवाओं को इसे एक गंभीर करियर विकल्प के रूप में अपनाने के लिए प्रेरित करेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की मान्यताएं खो-खो को अंतरराष्ट्रीय मंचों, जैसे एशियाई खेलों, तक ले जाने में भी मददगार साबित हो सकती हैं।