जल जीवन मिशन के तहत देश में 15 करोड़ से अधिक ग्रामीण घरों को नल के जरिए पानी के कनेक्शन : केंद्र

JJM-A

भारत सरकार ने ‘जल जीवन मिशन’ के जरिए लाखों ग्रामीण घरों में सुरक्षित पेयजल पहुंचाया। मिशन के तहत 15 करोड़ से अधिक ग्रामीण घरों को नल के जरिए पानी के कनेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं। सरकार जल जीवन मिशन को 2028 तक जारी रखने पर विचार कर रही है। यह सफलता केन्द्र और राज्यों के बीच घनिष्ठ समन्वय पर निर्भर है। केन्द्र जहां संसाधन एवं मार्गदर्शन प्रदान कर रहा है, वहीं राज्य गांव-गांव जाकर इस मिशन को साकार कर रहे हैं।

वर्ष 2019 में, भारत के 19 करोड़ ग्रामीण घरों में से केवल 3.23 करोड़ घरों में ही नल का पानी उपलब्ध था। लाखों परिवार दूर-दराज और अक्सर असुरक्षित जल स्रोतों पर निर्भर थे और उन्हें हर दिन घंटों उस पानी को लाने में लग जाते थे, जो उनकी बुनियादी जरूरत थी। इसके समाधान के रूप में, केंद्र सरकार ने एक स्पष्ट और परिवर्तनकारी उद्देश्य के साथ ‘जल जीवन मिशन’ की शुरुआत की: 2024 तक प्रत्येक ग्रामीण घर में नल के जरिए पानी का कनेक्शन प्रदान करने के लक्ष्य के साथ।

15 अगस्त 2019 को शुरू किया गया जल जीवन मिशन

केंद्र सरकार द्वारा 15 अगस्त 2019 को शुरू किए गए जल जीवन मिशन (जेजेएम) का उद्देश्य ग्रामीण इलाके में प्रत्येक घर को नल का जल उपलब्ध कराना है। केन्द्रीय बजट 2025-26 में जल जीवन मिशन का विस्तार करने की घोषणा के बाद, केन्द्र सरकार कुल परिव्यय में वृद्धि के साथ इसे 2028 तक जारी रखने पर विचार कर रही है। प्रस्ताव में बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता में सुधार, ग्रामीण इलाकों में पाइप से जलापूर्ति की योजनाओं के प्रभावी संचालन एवं रखरखाव को सुनिश्चित करने और नागरिक-केन्द्रित जल सेवा की आपूर्ति को बढ़ावा देने पर ध्यान केन्द्रित किया गया है, और आगे के वित्तपोषण संबंधी दिशानिर्देशों के बारे में सक्रियता से विचार किया जा रहा है।

जल जीवन मिशन के मूल में एक आमूलचूल बदलाव है-पानी को एक सरकारी सेवा के बजाय सामुदायिक स्वामित्व वाले संसाधन के रूप में परिवर्तित करना। यह दृष्टिकोण एक ऐसे मजबूत ढांचे के जरिए साकार हुआ है जो विकेंद्रीकरण, सहभागिता और स्थिरता पर जोर देता है-

विकेंद्रीकृत नियोजन– ग्राम कार्य योजनाओं के जरिए गांवों को अपनी जल आपूर्ति प्रणालियों को डिजाइन और कार्यान्वित करने का अधिकार दिया गया है।

सामुदायिक स्वामित्व– ग्राम जल एवं स्वच्छता समितियां (वीडब्ल्यूएससी) जैसी स्थानीय संस्थाएं नियोजन, कार्यान्वयन और रखरखाव के लिए जिम्मेदार हैं।

पानी की गुणवत्ता की निगरानी– 24.80 लाख से अधिक महिलाओं को फील्ड टेस्ट किट का उपयोग करके पानी की जांच करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है, जिससे जल सुरक्षा एक सामुदायिक नेतृत्व वाला प्रयास बन गया है।

स्थायित्व– दीर्घकालिक जल सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु जल स्रोत के स्थायित्व और गंदे पानी (ग्रेवाटर) के प्रबंधन को एकीकृत किया गया है।

क्षमता निर्माण– व्यापक प्रशिक्षण और आईईसी (सूचना, शिक्षा, संचार) अभियानों ने जागरूकता और व्यवहार संबंधी बदलाव को बढ़ावा दिया है। यह महज एक योजना भर नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा आंदोलन है जो ग्राम समुदायों में जवाबदेही, स्वामित्व और उद्देश्य का समावेश करता है।

गांवों के जिम्मे कमान- नेतृत्व की भूमिका में महिलाएं

इस मिशन की एक अनूठी विशेषता इसका गांव-पहले का दृष्टिकोण है और यह स्पष्ट रूप से समुदाय के नेतृत्व वाले दर्शन पर आधारित है। यह नीचे से ऊपर की ओर नियोजन के दृष्टिकोण पर जोर देता है। ग्रामीण समुदाय मात्र लाभार्थी ही नहीं हैं, बल्कि वे सक्रिय हितधारक भी हैं।

24.80 लाख से अधिक महिलाओं को पानी की गुणवत्ता की जांच करने के लिए प्रशिक्षित किया गया

कुल 5.29 लाख से अधिक वीडब्ल्यूएससी गठित की जा चुकी हैं। प्रशिक्षित पंचायत सदस्यों और स्थानीय स्वयंसेवकों द्वारा समर्थित ये संस्थाएं अपने गांव की जल प्रणालियों का स्वामित्व का भार उठाती हैं। महिलाओं के नेतृत्व पर जोर विशेष रूप से उल्लेखनीय है। कुल 24.80 लाख से अधिक महिलाओं को पानी की गुणवत्ता की जांच करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है, जिससे जमीनी स्तर पर वैज्ञानिक ज्ञान और निर्णय लेने की प्रक्रिया का समावेश हुआ है। यह दृष्टिकोण बुनियादी ढांचे के निर्माण के लंबे समय बाद भी स्थिरता, जवाबदेही और सुदृढ़ता सुनिश्चित करता है।

डिजिटल आधार- प्रौद्योगिकी के माध्यम से विश्वास का निर्माण

दरअसल, जल जीवन मिशन ऐसे उन्नत डिजिटल प्रणालियों की बुनियाद पर संचालित होता है, जो हर स्तर पर जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करता है।संयुक्त रूप से, ये नवाचार नागरिकों के विश्वास को मजबूत करते हैं, दक्षता बढ़ाते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि यह प्रणाली उत्तरदायी एवं पारदर्शी बनी रहे।

ग्रामीण जीवन की नई परिकल्पना

जेजेएम का उद्देश्य केवल जल उपलब्ध कराना ही नहीं है, बल्कि इसका इरादा नए अवसरों को खोलना तथा हरसंभव स्थितियों को नए सिरे से परिभाषित करना है।

जल जीवन मिशन के प्रभाव स्वच्छ जल से कहीं आगे तक फैले हैं-

स्वास्थ्य- डायरिया और हैजा जैसी जलजनित बीमारियों में उल्लेखनीय कमी आई है।
शिक्षा- जल संग्रहण का बोझ कम होने से, लड़कियां नियमित रूप से स्कूल जा पा रही हैं।
आजीविका- बहुत समय लेने वाले कामों से मुक्त होकर, महिलाएं स्वयं सहायता समूहों और सूक्ष्म उद्यमों में भाग ले रही हैं।
समानता- सार्वभौमिक पहुंच यह सुनिश्चित करती है कि सबसे हाशिए पर रहने वाले समुदाय भी पीछे न छूटें।

सफलता की कहानी

मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव, झालरिया में, हर रोज पानी लाना एक बेहद थका देने वाला काम हुआ करता था। महिलाओं को पानी लाने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी। कभी-कभी पानी के लिए घंटों इंतजार करना पड़ जाता था। और गर्मियों में, जब पानी के स्रोत सूख जाते थे, तो पानी की तलाश और भी लंबी हो जाती थी। पानी हमेशा साफ नहीं होता था, लेकिन कोई चारा भी नहीं था। जब महिलाएं घर लौटतीं, तो थककर बिल्कुल निढाल हो चुकी होती थीं।

वहां की पुरानी निवासी सीताबाई को वे दिन अच्छी तरह याद हैं। वह कहती हैं, “मैं रोजाना सुबह 4 बजे उठकर घर का काम करती और पानी लाती थी। पानी लाने के लिए एक तरफ़ से दो किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था। उसके बाद, मुझे काम पर भी निकलना होता था। मैं उस निर्माण स्थल पर देर से पहुंचना गवारा नहीं कर सकती थी, जहां मैं मजदूरी करती थी।”

लेकिन 2021 में स्थितियां उस समय बदल गईं, जब झालारिया में जल जीवन मिशन को सफलतापूर्वक लागू किया गया और सभी 284 घरों को नल के कनेक्शन प्रदान किए गए। इसमें समय और मेहनत लगी, पाइपलाइन बिछाना, समय-सारिणी तय करना और लोगों को इसे अपनाने के लिए राजी करना। आखिरकार, यह सब कारगर रहा।

घर पर पानी उपलब्ध होने से, महिलाएं अब स्थानीय कारखाने में या खेतों में मजदूरी करके कमा सकती हैं। बच्चों पर ध्यान देने के लिए उनके पास अब अपेक्षाकृत अधिक समय होता है और स्वयं सहायता समूह की बैठकों में वे पहले की तुलना में अधिक नियमित रूप से शामिल होती हैं। उनके घरों में पानी आने के बाद से जिंदगी सचमुच बदल गई है।

सीताबाई की कहानी जैसी, कई कहानियां मौजूद हैं। देशभर के छोटे-बड़े गांवों में, उनकी जैसी महिलाएं ‘हर घर जल’ के वादे को रोजमर्रा की जिंदगी में साकार करने में मदद कर रही हैं और यह साबित कर रही हैं कि पानी के बहाव के साथ-साथ अवसर भी अपने आप ही आ जाते हैं।

जल जीवन मिशन, एक सरकारी कार्यक्रम से कहीं बढ़कर है, यह एक जीवन रेखा है

दरअसल, यह सीताबाई और उनके जैसे कई लोगों की कहानी है, जो अब एक नई हकीकत को स्वीकार कर रहे हैं। पानी अब उनके दरवाजे पर उपलब्ध है, घर में सम्मान बहाल हो गया है और हर गली व घर में आशा का संचार हो रहा है। भारत के 81.01 प्रतिशत से अधिक गांवों को कवर करने वाले 15.69 करोड़ से अधिक ग्रामीण घरों को अब नल के पानी के कनेक्शन मिल रहे हैं। यह मिशन सामूहिक संकल्प और निरंतर प्रयास का एक अद्भुत प्रमाण है।

अब जबकि यह मिशन निरंतर आगे बढ़ता जा रहा है, इसकी असली विरासत केवल बुनियादी ढांचे के निर्माण में ही नहीं, बल्कि जीवन के उत्थान व समुदायों के सशक्तीकरण में भी निहित होगी।