ब्यूरो। साल 2024 के पांचवे महीने जून में बारिश का मौसम प्रारंभ हो जाता है और यह माह ज्येष्ठ व आषाढ माह के दौरान आता है। जून माह में कई प्रमुख व्रत त्योहार पड़ने वाले हैं और इस माह की शुरुआत ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि से हो रही है। इस महीने वट सावित्री व्रत, शनि जयंती, गंगा दशहरा, ईद उल अजहा, वट पूर्णिमा आदि समेत कई प्रमुख व्रत त्योहार पड़ने वाले हैं। साथ ही यह माह इसलिए भी शुभ है क्योंकि इस माह में दो एकादशी अपरा एकादशी और निर्जला एकादशी पड़ने वाली हैं, जो भगवान विष्णु का प्रिय उपवास है।
ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अपरा एकादशी व्रत के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करने के बाद श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार दान करना चाहिए। अपरा एकादशी का व्रत करने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है और साधक को धन, सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस एकादशी में अपार शब्द का हिंदी अर्थ है असीमित, अर्थात इस व्रत के करने से असीमित या अपार धन व सुख की प्राप्ति होती है।
ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि वट सावित्री तिथि का व्रत किया जाता है। हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत का विशेष महत्व गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पतिव्रता सावित्री यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस लेकर आईं थी। इस दिन महिलाएं 16 श्रृंगार करके बरगद के पेड़ की पूजा-अर्चना करती हैं और पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्रत रखती हैं। साथ ही इस दिन शनि जयंती और ज्येष्ठ अमावस्या का पर्व भी मनाया जाएगा।
हर साल ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन माता गंगा भगवान शिव की जटाओं से पृथ्वी लोक पर आईं थीं, तभी से इस शुभ तिथि पर मां गंगा का पूजन करने की परंपरा चली आ रही है। इस दिन पवित्र गंगा में स्नान करने से और दान करने का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से 10 तरह के पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मीठी ईद के तकरीबन 70 दिन बाद ईद उल अजहा यानी बकरीद मनाई जाती है। मुस्लिम समुदाय में यह पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। ईद-उल-अजहा को ईद-ए-कुर्बानी के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस दिन नियमों का पालन करते हुए हलाल जानवर कुर्बानी दी जाती है। इसे कुर्बानी की ईद और सुन्नत-ए-इब्राहिम भी कहते हैं। बकरीद को साल का आखिरी महीने यानी ज़ु अल-हज्जा या ज़ुल हिज्जा को मनाया जाता है।
ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी का व्रत किया जाता है। पुराणों में निर्जला एकादशी के व्रत का काफी महत्व बताया गया है। इस व्रत में पानी पीना वर्जित होता है इसलिए इसे निर्जला एकादशी कहते हैं। इस दिन जो व्यक्ति स्वयं निर्जल रहकर गरीब व जरूरतमंद व्यक्ति को शुद्ध पानी से भरा घड़ा दान करता है, उसको भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति जन्म मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है। अगर आप सभी एकादशी का व्रत नहीं कर पा रहे हैं तो निर्जला एकादशी का व्रत करके सभी एकादशियों का पुण्य फल प्राप्त कर सकते हैं।
