
शिकागो विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर और प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संबंध विशेषज्ञ जॉन मियर्सहाइमर ने ट्रंप प्रशासन की भारत नीति को ‘भारी भूल’ करार दिया है। ‘डैनियल डेविस डीप डाइव’ पॉडकास्ट में उन्होंने कहा कि रूस से तेल आयात के लिए भारत पर सेकेंडरी टैरिफ लगाना न केवल अप्रभावी है, बल्कि यह भारत के साथ अमेरिका के ‘शानदार’ संबंधों को ‘जहरीला’ बना रहा है।
भारत रूस से तेल आयात नहीं रोकेगा
मियर्सहाइमर ने जोर देकर कहा कि “यह हमारी ओर से एक बहुत बड़ी भूल है। यकीन करना मुश्किल है, लेकिन यहां क्या हो रहा है? ये सेकेंडरी टैरिफ भारत के साथ काम नहीं करेंगे। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वे रूस से तेल का आयात बंद नहीं करेंगे। भारतीय झुकने वाले नहीं हैं।”
भारत-अमेरिका संबंधों को कर दिया ‘जहरीला’
उन्होंने यह भी कहा, “जब ट्रंप पिछले जनवरी में व्हाइट हाउस में आए, तो अमेरिका और भारत के बीच संबंध वाकई बहुत अच्छे थे, और चीन को नियंत्रित करने के लिए, जो कि हमारी विदेश नीति का प्रमुख मिशन है, भारत के साथ अच्छे संबंध होना जरूरी है। लेकिन, तब से और अब इन सेकेंडरी प्रतिबंधों के साथ जो हुआ है, वह यह है कि हमने भारत के साथ संबंधों को ‘जहरीला’ कर दिया है।”
ट्रंप की असफल कोशिशें और बिगड़ते संबंध
उन्होंने एक जर्मन अखबार की रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया कि ट्रंप ने चार बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन मोदी ने बात करने से इनकार कर दिया। मियर्सहाइमर ने कहा, “भारतीय हमसे बहुत नाराज हैं। भारत अब चीन और रूस के करीब जा रहा है, जो अमेरिकी विदेश नीति के लिए नुकसानदेह है।”
पीटर नवारो पर निशाना, ‘कोई सुखद अंत नहीं’
मियर्सहाइमर ने व्हाइट हाउस के वरिष्ठ सलाहकार पीटर नवारो की रणनीति को भी आड़े हाथों लिया, जिसे उन्होंने असफल और बिना किसी ‘सुखद अंत’ वाली नीति बताया। उन्होंने सवाल उठाया, “क्या वे सोचते हैं कि भारत दबाव में घुटने टेकेगा? भारत के अब तक के रुख से यह तर्क पूरी तरह गलत साबित होता है।”
चीन को नियंत्रित करने के लिए भारत जरूरी
उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि चीन को नियंत्रित करने की अमेरिकी विदेश नीति के लिए भारत के साथ अच्छे संबंध महत्वपूर्ण हैं, लेकिन ट्रंप प्रशासन की नीतियों ने इन संबंधों को गंभीर नुकसान पहुंचाया है। (
