ट्रंप के टैरिफ पर काशी से पलटवार, ‘आत्मनिर्भर भारत’ का गूंजा दुनिया में संदेश

Author : Amit Sharma

ट्रंप के टैरिफ पर काशी से पलटवार, ‘आत्मनिर्भर भारत’ का गूंजा दुनिया में संदेश

बीते कुछ दिनों से ट्रंप का ‘टैरिफ टास्क’ दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ है। इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति लगातार अपने बयानों को लेकर भी सुर्खियों में हैं। इससे पहले कि ये बयान और तमाम अटकलें भारत पर असर डालते या किसी भ्रम की स्थिति उत्पन्न होती, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी की धरती से ऐसा स्पष्ट, आत्मविश्वास से भरा और नीतिगत सन्देश दिया जिसने ट्रंप के टैरिफ दबाव की हवा निकाल दी। काशी से पीएम मोदी का सन्देश केवल ट्रंप के बयान का जवाब भर नहीं है बल्कि यह भारत की वैश्विक स्थिति, उसकी आत्मनिर्भरता की यात्रा और वैश्विक बाजार में उसकी भूमिका का ऐतिहासिक ऐलान भी है। भले ही तमाम देश टैरिफ वाले मसले पर अभी असमंजस में हों लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिना किसी लाग लपेट के साफ संदेश दे दिया है कि आज के भारत को किसी भी तरह से दबाव में नहीं लिया जा सकता। सशक्त भारत अपने हितों को लेकर सतर्क है।

धानमंत्री मोदी का दो टूक जवाब

प्रधानमंत्री मोदी ने काशी में कहा, ‘हम वही करेंगे जो भारत के हित में होगा।’ यह कथन जितना साधारण दिखता है, उतना ही गूढ़ अर्थ भी लिए हुए है। यह साफ तौर पर उस दौर की समाप्ति की घोषणा है जब भारत वैश्विक शक्तियों के दबाव में अपनी नीतियां बदलता था। अब भारत अपनी शर्तों पर चलता है। मोदी सरकार के पिछले एक दशक के निर्णयों को देखा जाए तो स्पष्ट होता है कि भारत आज विश्व मंच पर एक संतुलित, रणनीतिक और स्वाभिमानी राष्ट्र के रूप में खड़ा है जो किसी भी देश के दबाव, धमकी या लालच में आने वाला नहीं है। चाहे बात रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भारत के संतुलित रुख की हो या फिर चीन से सीमा विवाद के बीच आत्मनिर्भर रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने की, भारत ने हर मोर्चे पर अपने हितों को प्राथमिकता दी है।

‘डेड इकोनॉमी’ नहीं, भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर

ट्रंप द्वारा भारत को ‘डेड इकोनॉमी’ बताए जाने पर अप्रत्यक्ष तौर पर प्रधानमंत्री मोदी ने जिस संजीदगी और तथ्यों के साथ जवाब दिया, वह काबिले तारीफ है। उन्होंने दो टूक कहा कि ‘भारत अब तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है।’ यह बात आंकड़ों से भी पुष्ट होती है। IMF की World Economic Outlook रिपोर्ट (2024) के अनुसार भारत की GDP 3.9 ट्रिलियन डॉलर को पार कर गई है और अगले दो वर्षों में यह तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकती है। इसके अलावा, भारत लगातार दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बना हुआ है। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की अनुमानित आर्थिक वृद्धि दर 7.6% बताई गई है, जो G20 देशों में सर्वाधिक है।

व्यापारिक राष्ट्रवाद: स्वदेशी की नई परिभाषा

काशी से अपने भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने जो सबसे बड़ा संदेश दिया, वह है, ‘हर भारतीय को स्वदेशी उत्पाद अपनाने का संकल्प लेना चाहिए।’ यह केवल एक भावनात्मक अपील नहीं बल्कि एक रणनीतिक और आर्थिक आह्वान है। जब वैश्विक बाजार में अनिश्चितता और व्यापार युद्ध का दौर चल रहा है, तब भारत के लिए स्वदेशी का मार्ग न केवल आत्मनिर्भरता की कुंजी है बल्कि आर्थिक स्थिरता और रोजगार सृजन का माध्यम भी है। पीएम मोदी ने महात्मा गांधी का स्मरण करते हुए कहा कि ‘अब हर पल स्वदेशी ही खरीदेंगे। ये महात्मा गांधी को बड़ी श्रद्धांजलि होगी।’ यह वक्तव्य न केवल भारतीय भावना को जोड़ता है बल्कि यह देश के 140 करोड़ लोगों को आर्थिक राष्ट्रवाद की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास भी है।

नए भारत की अर्थनीति: आयात पर नहीं, उत्पादन पर आधारित

ट्रंप जैसे नेताओं की सोच यह मानती रही है कि विकासशील देश अपनी अर्थव्यवस्था को वैश्विक बाजार और आयात-निर्यात के संतुलन से चलाते हैं लेकिन भारत का उदाहरण अब यह सिद्ध कर रहा है कि एक सशक्त देश, जो वैश्विक महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर है वह आत्मनिर्भरता के बलबूते भी आर्थिक चमत्कार कर सकता है। आज भारत में मैन्युफैक्चरिंग, टेक्नोलॉजी, रक्षा उत्पादन, स्टार्टअप्स और डिजिटल इकोनॉमी जैसी सभी प्रमुख आर्थिक शाखाएं अपने पैरों पर खड़ी हो रही हैं। ‘मेक इन इंडिया’, ‘स्टार्टअप इंडिया’, ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘वोकल फॉर लोकल’ जैसे कार्यक्रमों ने भारत को उस दिशा में अग्रसर किया है जहां उसे अब किसी देश के एक्सपोर्ट मॉडल की बैसाखी की जरूरत नहीं।

किसानों और लघु उद्योगों के लिए सरकार की प्राथमिकता

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में विशेष तौर पर किसानों, लघु उद्योगों और युवाओं का उल्लेख किया और कहा कि इनकी समृद्धि ही भारत की असली ताकत है। वास्तव में, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, एक जिला एक उत्पाद (ODOP), MSME को मिलने वाले आसान ऋण, GEM पोर्टल के माध्यम से सरकारी खरीद में छोटे उत्पादकों की भागीदारी जैसी योजनाएं भारत के लघु और कुटीर उद्योगों को नया जीवन दे रही हैं। काशी से ही प्रधानमंत्री मोदी ने PM-KISAN योजना की 20वीं किस्त जारी की, जिसमें 9.7 करोड़ किसानों के खातों में सीधे 20,500 करोड़ से अधिक की राशि भेजी गई। यह किसी देश के किसानों को दी गई सबसे बड़ी सीधी नकद सहायता योजना में से एक है।

विपक्ष की ‘विदेश प्रेरित आलोचना’ को जवाब

प्रधानमंत्री का काशी से दिया गया संदेश केवल ट्रंप या अमेरिकी दबावों के लिए नहीं है, बल्कि यह उन विपक्षी नेताओं के लिए भी एक अप्रत्यक्ष संदेश है जो अपनी आलोचना के लिए विदेशी मीडिया और अंतरराष्ट्रीय मंचों से सामग्री उठाते हैं। पिछले कुछ समय में देखा गया है कि विपक्ष बार-बार भारत की आर्थिक नीतियों, लोकतंत्र और मानवाधिकारों पर विदेशी नेताओं या रिपोर्ट्स को आधार बनाकर सरकार पर निशाना साधता है लेकिन जब खुद देश का नेतृत्व विश्व मंच पर मजबूती से खड़ा है, तब ऐसी आलोचनाएं महज राजनीतिक हथकंडे भर रह जाते हैं। पीएम मोदी का स्पष्ट कहना है कि ‘हमारे निर्णय भारत के किसानों, युवाओं और लघु उद्योगों के हित में होंगे’।

आत्मनिर्भर भारत अब कोई सपना नहीं

प्रधानमंत्री मोदी के विजन व इच्छाशक्ति ने साबित कर दिया कि भारत अब अपने हितों की रक्षा करते हुए हर चुनौती से पार पाने वाले देश है। अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप के ‘टैरिफ’ वाले दांव को शांतिपूर्वक और नीतिगत जवाब देकर प्रधानमंत्री मोदी ने तमाम अटकलों, सवालों पर विराम लगा दिया है। एक बार फिर उन्होंने संदेश दिया कि नया भारत अपने निर्णय स्वयं लेता है और अपने हितों की रक्षा के लिए दुनिया से संवाद करना जानता है। काशी से निकला यह संदेश भारत की उस दिशा का सूचक है जहां वह अब विदेशी दबावों को नहीं बल्कि स्वदेशी समाधानों को मार्गदर्शक मानता है।

-(वरिष्ठ पत्रकार अमित शर्मा की राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय, राजनीतिक, आध्यात्मिक और सामाजिक मुद्दों पर गहरी पकड़ है। वर्तमान में वे प्रसार भारती न्यूज सर्विस के साथ जुड़े हैं।)