
नाइजीरिया। पूर्व राष्ट्रपति मुहम्मदू बुहारी का रविवार को 82 वर्ष की उम्र में लंदन में इलाज के दौरान निधन हो गया। उनके निधन पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित दुनिया भर के नेताओं ने गहरा दुख व्यक्त किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर अपनी संवेदना प्रकट करते हुए लिखा, “नाइजीरिया के पूर्व राष्ट्रपति मुहम्मदू बुहारी के निधन से अत्यंत दुखी हूं। मुझे विभिन्न अवसरों पर हुई हमारी मुलाकातें और बातचीत याद आती हैं। उनकी बुद्धिमत्ता, गर्मजोशी और भारत-नाइजीरिया मैत्री के प्रति अटूट प्रतिबद्धता थी। मैं भारत के 1.4 अरब लोगों के साथ उनके परिवार, नाइजीरिया की जनता और सरकार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं।”
वहीं नाइजीरिया के वर्तमान राष्ट्रपति बोला अहमद टीनुबू ने पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर गहरा दुख जताया है और उपराष्ट्रपति काशिम शेट्टिमा को लंदन भेजा है ताकि बुहारी के पार्थिव शरीर को नाइजीरिया लाया जा सके। साथ ही, उनके सम्मान में राष्ट्रीय झंडे को आधा झुकाने का आदेश दिया गया है। मुहम्मदू बुहारी का जन्म 17 दिसंबर 1942 को हुआ था। उन्होंने नाइजीरिया की सेना में एक लंबा समय बिताया और बाद में राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई। वे 1983 से 1985 तक एक सैन्य शासक के रूप में सत्ता में रहे और फिर वर्ष 2015 में लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित राष्ट्रपति बने। वे नाइजीरिया के इतिहास में पहले ऐसे विपक्षी उम्मीदवार थे जिन्होंने किसी सत्ताधारी राष्ट्रपति को हराकर चुनाव जीता।
2019 में वे दोबारा राष्ट्रपति चुने गए और 29 मई 2023 को बोला टीनुबू को सत्ता सौंपकर दो कार्यकाल पूरे किए। अपने शासनकाल के दौरान बुहारी ने तीन प्रमुख क्षेत्रों- सुरक्षा, भ्रष्टाचार पर नियंत्रण और अर्थव्यवस्था के विविधीकरण पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने पूर्वोत्तर क्षेत्र में बोको हराम आतंकियों के खिलाफ सख्त अभियान चलाया और देश से लूटे गए धन की वापसी के लिए कड़े कदम उठाए। उनके कार्यकाल में कृषि और बुनियादी ढांचे के विकास को भी बढ़ावा मिला, हालांकि वे दो बार की आर्थिक मंदी और बढ़ती असुरक्षा की चुनौतियों का भी सामना करते रहे।
पूर्व राष्ट्रपति बुहारी को एक अनुशासित, ईमानदार और राष्ट्रहित में फैसले लेने वाले नेता के रूप में याद किया जा रहा है। उनके निधन से नाइजीरिया ही नहीं, बल्कि अफ्रीकी और वैश्विक राजनीति को भी एक बड़ा नुकसान हुआ है।
