नीति आयोग ने ब्लू इकोनॉमी को सशक्त बनाने के लिए जारी की रिपोर्ट

नीति आयोग ने ब्लू इकोनॉमी को सशक्त बनाने के लिए जारी की रिपोर्ट

नीति आयोग ने गहरे समुद्री अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने के उद्देश्य से आज “इंडिया ब्लू इकोनॉमी: स्ट्रेटेजी फॉर हार्नेसिंग डीप सी एंड ऑफशोर फिशरीज” जारी किया है। है। यह रिपोर्ट नीति आयोग के सदस्य (कृषि) प्रोफेसर रमेश चंद और मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम द्वारा एक विशेष कार्यक्रम में लॉन्च की गई। इस कार्यक्रम में मत्स्य पालन क्षेत्र, समुद्री राज्यों और हितधारक संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

भारत की समुद्री क्षमताएँ और संभावनाएँ

भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है, जो वैश्विक उत्पादन का 8 प्रतिशत हिस्सा है। भारत का मत्स्य पालन क्षेत्र लगभग 30 मिलियन आजीविका में सहयोग और निर्यात में महत्वपूर्ण योगदान देता है, वित्त वर्ष 2023-24 में मत्स्य उत्पादों से 60,523 करोड़ रुपये की कमाई प्राप्त हुई है।

भारत का विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) 2 मिलियन वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में फैला है। जो नौ तटीय राज्यों और चार केंद्र शासित प्रदेशों में फैल हुई है। गहरे समुद्र में समुद्री मत्स्य पालन का विस्तार करने की अपार संभावनाएं प्रदान करती है। एक फलते-फूलते मत्स्य क्षेत्र के बावजूद महाद्वीपीय शेल्फ से परे गहरे समुद्र में मत्स्य संसाधन काफी हद तक अनुपयोगी बने हुए हैं।

रिपोर्ट में बताया गया है कि गहरे समुद्र में मत्स्य संसाधनों की अनुमानित संभावित उपज 7.16 मिलियन टन है। गहरे समुद्र और अपतटीय मत्स्य पालन के जिम्मेदारीपूर्ण उपयोग से समुद्री खाद्य निर्यात में वृद्धि हो सकती है, रोजगार के अवसर पैदा हो सकते हैं और तटीय मत्स्य पालन पर दबाव कम हो सकता है, साथ ही इकोसिस्टम की स्थिरता भी सुनिश्चित की जा सकती है।

रिपोर्ट में मछुआरा सहकारी समितियों और समूह आधारित दृष्टिकोणों का समर्थन करके, सामूहिक स्वामित्व, संचालन और आधुनिक प्रौद्योगिकी तक पहुंच को सक्षम करके समावेशी बेड़ों के विकास पर भी जोर दिया गया है। यह दीर्घकालिक इकोसिस्टम और आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक निवेश प्राथमिकताओं और निगरानी तंत्र को भी रेखांकित करता है।

तीन चरणों में विकास की रूपरेखा

रिपोर्ट में इस रणनीति को तीन चरणों में लागू करने का सुझाव दिया गया है:
चरण 1 (2025–2028): प्रारंभिक विकास की नींव रखना और विस्तार
चरण 2 (2029–2032): वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को प्राप्त करना
चरण 3 (2033 और आगे): सतत गहरे समुद्र में मत्स्य पालन में वैश्विक नेतृत्व
इन चरणों के लिए सांकेतिक लागत ढाँचा भी प्रस्तावित किया गया है, जिसमें केंद्र प्रायोजित और केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं के अभिसरण पर विचार किया गया है।

रिपोर्ट के विमोचन के साथ ही एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें 18 प्रमुख संस्थानों ने भाग लिया। “गहरे समुद्र में मत्स्य पालन और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए राज्यों की रणनीति” विषय पर आयोजित सत्र में गोवा, गुजरात, लक्षद्वीप, महाराष्ट्र, ओडिशा और तमिलनाडु जैसे तटीय राज्यों ने अपने विचार साझा किए।

इसके अलावा, “नियामक सुधार, अनुसंधान, वित्तपोषण और क्षमता निर्माण के माध्यम से संसाधन प्रबंधन को आगे बढ़ाना” विषय पर एक पैनल चर्चा भी आयोजित की गई, जिसमें प्रतिष्ठित विशेषज्ञों ने भाग लिया।