
भारत के स्मार्टफोन निर्यात ने वित्त वर्ष 2025-26 की पहली पाँच महीनों में 1 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर नया रिकॉर्ड बनाया है। यह पिछले साल की तुलना में 55% की बढ़ोतरी है, जब यही आंकड़ा 64,500 करोड़ रुपये था।
उद्योग से मिली जानकारी के अनुसार, एप्पल के कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और फॉक्सकॉन ने कुल निर्यात में सबसे बड़ा योगदान दिया है। दोनों मिलकर करीब 75% हिस्सेदारी रखते हैं और 75,000 करोड़ रुपये से ज़्यादा का निर्यात कर चुके हैं।
PLI योजना से फायदा
Production-Linked Incentive (PLI) योजना की वजह से एप्पल ने भारत में उत्पादन को तेज़ी से बढ़ाया है। तमिलनाडु और कर्नाटक में एप्पल ने बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू किया है और अभी 2025 में अपनी अधिकांश निर्यात क्षमता अमेरिका को आपूर्ति करने में लगाई है।
इस साल की पहली छमाही में भारत से अमेरिका भेजे गए iPhone में 78% का हिस्सा भारत में बने iPhone का रहा, जबकि पिछले साल यह 53% था।
अमेरिका-चीन के बीच भारत का फायदा
अमेरिका के स्मार्टफोन आयात में भारत की हिस्सेदारी बढ़कर 44% हो गई है, जबकि चीन की हिस्सेदारी 2024 के मध्य में 61% से घटकर सिर्फ 25% रह गई। “मेड-इन-इंडिया” स्मार्टफोन का कुल उत्पादन साल-दर-साल (YoY) 240% से भी ज्यादा बढ़ा है।
वैश्विक सप्लाई चेन में भारत की स्थिति
चीन और वियतनाम के साथ अब भारत भी वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग का प्रमुख केंद्र बन गया है। कंपनियाँ सप्लाई चेन को विविध बनाने के लिए भारत का रुख कर रही हैं।
सैमसंग और मोटोरोला ने भी भारत से अमेरिका को भेजे जाने वाले स्मार्टफोन्स की संख्या बढ़ाई है, लेकिन उनकी रफ्तार एप्पल की तुलना में काफी धीमी है। मोटोरोला का प्रमुख उत्पादन केंद्र अभी भी चीन में है, जबकि सैमसंग मुख्य रूप से वियतनाम में स्मार्टफोन बनाता है।
मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग में बड़ी छलांग
भारत में इस समय 300 मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स हैं, जबकि 2014 में सिर्फ 2 यूनिट्स थीं। वित्त वर्ष 2013-14 में भारत में बिकने वाले मोबाइल फोन्स में से केवल 26% ही घरेलू स्तर पर बनते थे, जबकि अब यह आंकड़ा बढ़कर 99.2% हो गया है।