
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा का कहना है कि आरबीआई के अनुमानों के आधार पर प्रमुख नीतिगत ब्याज दरें ‘लंबे समय तक’ कम रह सकती हैं, क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर मजबूत बनी हुई है और महंगाई काफी हद तक नियंत्रण में है। यह जानकारी फाइनेंशियल टाइम्स (एफटी) की एक रिपोर्ट में दी गई है।
देश की आर्थिक वृद्धि आरबीआई के अनुमान से भी अधिक
मल्होत्रा ने कहा कि यदि भारत के यूरोपीय संघ (ईयू) और अमेरिका के साथ व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर हो जाते हैं, तो देश की आर्थिक वृद्धि आरबीआई के अनुमान से भी अधिक हो सकती है। एफटी की रिपोर्ट में आरबीआई गवर्नर के हवाले से कहा गया है कि अमेरिका के साथ व्यापार समझौते का प्रभाव लगभग आधा प्रतिशत तक हो सकता है। इसका अर्थ है कि देश की विकास दर में करीब 0.5% की अतिरिक्त बढ़ोतरी संभव है।
विकास दर में वृद्धि होने की संभावना
उन्होंने आगे कहा कि केंद्रीय बैंक ने यूरोपीय संघ के साथ व्यापार समझौते के संभावित प्रभाव का इतनी गहराई से अध्ययन नहीं किया है, लेकिन इससे भी विकास दर में वृद्धि होने की संभावना है। कुछ अर्थशास्त्रियों द्वारा भारत के आर्थिक आंकड़ों की गुणवत्ता पर उठाए गए सवालों पर मल्होत्रा ने कहा, “कुछ आंकड़ों में सुधार की गुंजाइश हो सकती है, लेकिन मेरा मानना है कि ये आंकड़े कुल मिलाकर मजबूत और भरोसेमंद हैं।”
आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए 5 दिसंबर को रेपो रेट में 0.25% की कटौती
आरबीआई गवर्नर ने बताया कि आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए 5 दिसंबर को रेपो रेट में 0.25% की कटौती की गई, जिससे इसे 5.5% से घटाकर 5.25% कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 8.2% की आर्थिक वृद्धि और महंगाई दर में 1.7% की गिरावट ने भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक “गोल्डिलॉक्स पीरियड” (संतुलित और अनुकूल समय) का निर्माण किया है।
विकास को प्रोत्साहित करने के लिए रेपो रेट में आगे भी कटौती की गुंजाइश
मल्होत्रा ने आगे कहा कि कम मुद्रास्फीति के चलते विकास को प्रोत्साहित करने के लिए रेपो रेट में आगे भी कटौती की गुंजाइश बनी हुई है। आरबीआई ने देश की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान भी पहले के 6.8% से बढ़ाकर 7.3% कर दिया है।
प्रतिभूतियों की खरीद के माध्यम से 1 लाख करोड़ रुपए का निवेश
रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई अर्थव्यवस्था में तरलता बढ़ाने के लिए सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद के माध्यम से 1 लाख करोड़ रुपए का निवेश करेगा। इसके अलावा, केंद्रीय बैंक 5 अरब डॉलर का डॉलर-रुपया स्वैप भी लागू करेगा। साथ ही, आरबीआई ने ‘तटस्थ नीतिगत रुख’ अपनाने का फैसला किया है, ताकि एक ओर मुद्रास्फीति नियंत्रण में रहे और दूसरी ओर आर्थिक विकास प्रभावित न हो। (इनपुट- आईएएनएस)
