भारत पर अमेरिकी दबाव की रणनीति बहुत ज्यादा मायने नहीं रखती: विशेषज्ञ

भारत पर अमेरिकी दबाव की रणनीति बहुत ज्यादा मायने नहीं रखती: विशेषज्ञ

भारत-अमेरिका आर्थिक संबंधों के प्रमुख विशेषज्ञ और सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (सीएसआईएस) में भारत और उभरते एशिया अर्थशास्त्र के अध्यक्ष रिचर्ड रोसो ने कहा है कि ट्रंप प्रशासन की हालिया दबाव रणनीति भारत के लिए ‘बहुत मायने नहीं रखती।’ 

अमेरिकी दबाव की रणनीति भारत पर बेअसर

यह बयान व्हाइट हाउस के वरिष्ठ सलाहकार पीटर नवारो के उस आग्रह के जवाब में आया, जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘भारत को रूस के साथ नहीं, बल्कि हमारे साथ रहना चाहिए।’

रोसो ने कहा, “अमेरिका-भारत संबंधों के समर्थक रूस के साथ भारत के सहयोग में और कमी देखना चाहते हैं, लेकिन हाल के हफ्तों में राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा अपनाई गई दबाव की रणनीति, जो केवल भारत पर लागू होती है, बहुत मायने नहीं रखती।” 

ज्ञात हो, पीटर नवारो ने हाल ही में भारत पर यूक्रेन युद्ध से ‘मुनाफा कमाने’ का आरोप लगाया था, जिसका भारत ने कड़ा खंडन किया। पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने ‘द हिंदू’ में लिखा, “सच्चाई इससे ज्यादा दूर नहीं हो सकती।”

नवारो के बयान राष्ट्रपति ट्रंप के विचारों से बहुत अलग नहीं 

नवारो के बयानों को लेकर रोसो ने कहा कि ये राष्ट्रपति ट्रंप के विचारों से बहुत अलग नहीं हैं। उन्होंने बताया, “नवारो लंबे समय से ट्रंप के करीबी हैं, और उनकी टिप्पणियों पर ध्यान दिया गया है।” यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के लिए चीन यात्रा और रूस व चीन के नेताओं के साथ द्विपक्षीय वार्ता के बाद आया है।

रोसो ने इस अटकल को कम करके आंका कि भारत रूस और चीन के साथ गठबंधन कर रहा है। उन्होंने कहा, “मैंने इसे मुख्य रूप से एक बैठक मंच के रूप में देखा, न कि एक कार्य मंच के रूप में।” वहीं उन्होंने पीएम मोदी की टोक्यो यात्रा को अधिक महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि वहां ‘कहीं अधिक महत्वपूर्ण घोषणाएं’ हुईं।

भारत-चीन वार्ता पर रोसो ने तनाव कम करने के कदमों का स्वागत किया

भारत-चीन वार्ता पर रोसो ने तनाव कम करने के कदमों का स्वागत किया, लेकिन हिंद महासागर में चीन की बढ़ती उपस्थिति और अन्य मुद्दों के कारण सहयोग की सीमित संभावनाओं की ओर इशारा किया। उन्होंने अमेरिकी सांसदों की चुप्पी पर भी टिप्पणी की, यह कहते हुए कि रिपब्लिकन ट्रंप के रुख से चिंतित हैं, जबकि डेमोक्रेट्स घरेलू मुद्दों को प्राथमिकता दे रहे हैं।