
दिल्ली। भारत में इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री में तेजी से वृद्धि होने की उम्मीद है। केयरएज एडवाइजरी की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, भारत में इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री वित्त वर्ष 28 तक 7 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी को पार कर सकती है, बशर्ते दुर्लभ पृथ्वी तत्वों (REE) की आपूर्ति में व्यवधान को समय पर हल हो। नए मॉडल लॉन्च, चार्जिंग बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए सरकारी प्रयास, और अमेरिकी EV दिग्गज टेस्ला के भारत में प्रवेश से यह वृद्धि संचालित हो रही है।
मुख्य बिंदु:
तेज वृद्धि: भारत के इलेक्ट्रिक कार इकोसिस्टम में FY21 में 5,000 यूनिट से बढ़कर FY25 में 1.07 लाख यूनिट की बिक्री हुई, जो 21 गुना वृद्धि दर्शाती है।खंड गतिशीलता: दोपहिया और तिपहिया वाहनों का EV बिक्री में दबदबा है, लेकिन चार-पहिया खंड अब सार्वजनिक नीतियों और निजी क्षेत्र की प्रतिबद्धता के समर्थन से तेज विकास की राह पर है।सरकारी समर्थन: सरकार ने FY30 तक 30% EV पैठ का लक्ष्य रखा है। FAME III, उन्नत रसायन सेल (ACC) बैटरी के लिए PLI योजना और कोबाल्ट, लिथियम-आयन अपशिष्ट, ग्रेफाइट जैसे खनिजों पर शून्य सीमा शुल्क से उत्पादन लागत कम होगी और घरेलू आपूर्ति श्रृंखला मजबूत होगी।चार्जिंग बुनियादी ढांचे में सुधार: चार्जिंग बुनियादी ढांचा, जो EV अपनाने में प्रमुख बाधा रहा, अब अभूतपूर्व वृद्धि देख रहा है। FY22 में 5,151 से बढ़कर FY25 की शुरुआत तक 26,000 से अधिक सार्वजनिक EV चार्जिंग स्टेशन स्थापित हुए, जो 72% से अधिक की CAGR दर्शाता है।
प्रमुख पहल:
FAME III: चार्जिंग ढांचे के विस्तार के लिए समर्पित फंड।
राज्य प्रोत्साहन: महाराष्ट्र, दिल्ली, तमिलनाडु और गुजरात जैसे राज्यों में भूमि सब्सिडी और पूंजीगत व्यय सहायता।
शहरी नियोजन: आवासीय और वाणिज्यिक परिसरों में EV-रेडी पार्किंग स्लॉट अनिवार्य।लक्ष्य: शहरी क्षेत्रों में हर 5-10 किमी पर विश्वसनीय चार्जिंग स्टेशन, ताकि रेंज की चिंता कम हो।
निजी क्षेत्र और नीतिगत प्रगति:
निजी चार्जिंग पॉइंट ऑपरेटर यानी सीपीओ भी नगर निगमों और डिस्कॉम के साथ सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के माध्यम से, अक्सर अपने परिचालन का तेजी से विस्तार कर रहे हैं।
इसके अलावा, नीतिगत ज़ोर मानकीकरण और अंतर-संचालन की ओर बढ़ रहा है, ऊर्जा दक्षता ब्यूरो यानी बीईई और नीति आयोग उपयोगकर्ता की सुविधा सुनिश्चित करने के लिए चार्जर्स में एक समान प्रोटोकॉल पर जोर दे रहे हैं।
वित्त वर्ष 26 के हालिया बजट में ईवी बैटरी निर्माण में इस्तेमाल होने वाले 16 प्रमुख खनिजों पर शून्य मूल सीमा शुल्क लागू किया गया है, जिससे आयात पर निर्भरता कम होगी और उत्पादन लागत कम होगी।
केयरएज का अनुमान है कि एकीकृत बैटरी निर्माण में निवेश के साथ, लिथियम-आयन सेल आयात निर्भरता FY22 में 100% से घटकर FY27 तक 20% हो सकती है। इस संबंध में केयरएज एडवाइजरी की वरिष्ठ निदेशक तन्वी शाह ने कहा, “मॉडल लॉन्च, चार्जिंग ढांचे का विस्तार और PLI योजना के तहत बैटरी स्थानीयकरण के साथ, भारत EV अपनाने में तेजी लाने के लिए तैयार है।
