
भारत का हरित परिवहन अभियान नए सिरे से परिवहन की गाथा लिख रहा है, इंजनों की गर्जना को नवाचार की शांत गूंज में बदल रहा है। शहर की सड़कों पर तैरने वाली चमकदार इलेक्ट्रिक बसों से लेकर चार्जिंग पॉइंट के साथ पंक्तिबद्ध राजमार्गों तक, राष्ट्र एक ऐसे नेटवर्क का निर्माण कर रहा है, जहां गति का मिलन टिकाऊ व्यवस्था से होता है।
इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर की बिक्री विगत वर्ष के 9.48 लाख से 21प्रतिशत बढ़कर 11.49 लाख यूनिट
गौरतलब हो, वित्त वर्ष 2024-25 में नए रिकॉर्ड के साथ भारत का इलेक्ट्रिक वाहन बाजार पूरी गति से आगे बढ़ रहा है। इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर (e-2W) की बिक्री विगत वर्ष के 9.48 लाख से 21प्रतिशत बढ़कर 11.49 लाख यूनिट हो गई। ये आंकड़े भारतीय सड़कों पर स्वच्छ और अधिक टिकाऊ परिवहन की ओर तीव्र गति से बदलाव का संकेत देते हैं।
यह बदलाव केवल वाहनों के मामले में नहीं है, बल्कि इस दिशा में एक विशिष्ट दृष्टिकोण में भी है। यह परिवहन के अनुकूल परिवेश के निर्माण के संबंध में है जो हमारे पर्यावरणीय लक्ष्यों के अनुरूप है, आर्थिक विकास का समर्थन करता है और रोजमर्रा के जीवन में सुधार लाता है। साहसिक नीतियों, सरकारी-निजी सहयोग और नवाचार के बढ़ते ज्वार के साथ भारत एक स्वच्छ, हरित और अधिक सामर्थ्यवान परिवहन के भविष्य की राह पर अग्रसर है।
एक संपन्न शहर की पहचान
एक संपन्न शहर की पहचान क्या है? बिना शोर किए गुजरने वाले वाहनों के साथ शांत सड़कें, स्वच्छ हवा? खैर, यह भविष्य का दृश्य नहीं है, बल्कि एक ऐसी यात्रा है जो पहले से ही पूरे भारत में चल रही है। परिवहन के स्वच्छ, कम उत्सर्जन वाले और कम ऊर्जा की खपत वाले साधनों के प्रति भारत की पूरी प्रतिबद्धता के कारण हरित परिवहन अच्छी तरह से और सही मायने में, महज चर्चा का विषय होने से आगे बढ़ चुका है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 26 अगस्त 2025 को अहमदाबाद के हंसलपुर संयंत्र में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सुजुकी के पहले वैश्विक बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन (बीईवी) “ई विटारा” का उद्घाटन किया जो भारत की हरित परिवहन यात्रा में ऐतिहासिक मील का पत्थर बन गया है। यह 100 से अधिक देशों को मेड-इन-इंडिया बीईवी के निर्यात के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
इस दौरान पीएम मोदी ने तोशिबा, डेंसो और सुजुकी के संयुक्त उद्यम टीडीएस लिथियम-आयन बैटरी प्लांट में हाइब्रिड बैटरी इलेक्ट्रोड के स्थानीय उत्पादन का भी उद्घाटन किया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि 80 प्रतिशत से अधिक बैटरी भारत में ही निर्मित हो, जिससे “मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड” के साझा लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिल सके। ये ऐतिहासिक घटनाक्रम न केवल भारत को वैश्विक ईवी आपूर्ति श्रृंखला में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करते हैं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत और स्वच्छ ऊर्जा नवाचार की दिशा में देश की निर्णायक छलांग भी हैं।
फायदों के लिए ऊर्जस्वित
वहीं, इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) पारंपरिक ईंधन आधारित परिवहन की जगह स्वच्छ, स्मार्ट और अधिक कुशल विकल्प प्रदान करके यात्रा करने के हमारे तरीके को बदल रहे हैं। जिस तरह भारत टिकाऊ परिवहन व्यवस्था की ओर बढ़ रहा है तो इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग की ओर बढ़ना व्यावहारिक और भविष्य के लिए तैयार विकल्प बन रहा है।
स्वच्छ परिवहन के लिए सरकार का रोडमैप
हरित परिवहन के क्षेत्र में भारत की गाथा केवल एक राह पर नहीं है बल्कि परिवर्तन को प्रेरित करने वाली साहसिक पहलों के नेटवर्क पर आधारित है। हरित परिवहन की ओर भारत की यात्रा को दूरदर्शी सरकारी योजनाओं की उस श्रृंखला से संचालित किया जा रहा है जो भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर रही हैं और जिसमें हर एक छोटी यात्रा भी धरती की सेहत बेहतर बनाने की ओर एक कदम है।
राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन योजना और फेम-1
भारत की इलेक्ट्रिक मोबिलिटी यात्रा को एक स्पष्ट नीति-नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान (एनईएमएमपी) 2020 के शुभारंभ के साथ सरकार से व्यापक तौर पर बढ़ावा मिला। इस योजना को इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को अपनाने और उनके उत्पादन में तेजी लाने के लिए लागू किया गया था, जो स्वच्छ और हरित परिवहन के भविष्य की नींव रखता है। भारी उद्योग मंत्रालय ने इस मिशन के एक भाग के रूप में इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों को अपनाने को प्रोत्साहन देने के लिए 2015 से 2019 तक लागू फेम इंडिया स्कीम (फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड एंड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स) की शुरुआत की ताकि उन्हें जनता और उद्योग दोनों के लिए अधिक सुलभ बनाया जा सके। फेम-1 ने न केवल इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया बल्कि उनके लिए चार्जिंग के आवश्यक बुनियादी ढांचे के निर्माण पर भी ध्यान केंद्रित किया। इस बुनियादी ढांचे के निर्माण में सहयोग के लिए 43 करोड़ रुपये के कुल आवंटन के साथ इस योजना के तहत लगभग 520 चार्जिंग स्टेशनों को मंजूरी दी गई थी ।
फेम-1 के तहत सहयोग प्राप्त इलेक्ट्रिक वाहन
समर्थित ईवी की संख्या
ई-2 व्हीलर्स -1,51,648
ई-3 व्हीलर -786
ई-4 व्हीलर -1,02,446
इलेक्ट्रिक बसें -425
कुल- 2,55,305
फेम-2 (इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाना और निर्माण) – चरण 2
फेम-2 ने पिछले चरण की गति को आगे बढ़ाते हुए इस दिशा में और तेजी लाने और पारंपरिक इंधन वाले वाहनों से इलेक्ट्रिक परिवहन में बदलाव के लिए साहसिक रूप से निवेश बढ़ाया। अप्रैल 2019 में फेम इंडिया चरण-2 का शुभारंभ 11,500 करोड़ रुपये के बजट के साथ किया गया था। यह योजना ईवी अपनाने को बढ़ाने, ई-बस नेटवर्क का विस्तार करने और चार्जिंग बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर केंद्रित है।
जून 2025 तक फेम-2 के तहत सहयोग प्राप्त इलेक्ट्रिक वाहन
समर्थित ईवी की संख्या
ई-2 व्हीलर्स -14,35,065
ई-3 व्हीलर-1,65,029
ई-4 व्हीलर- 22,644
ई-बसें -5,165 (6,862 स्वीकृत)
कुल -16,29,600
भारी उद्योग मंत्रालय (एमएचआई) ने इसका सहयोग करने के उद्देश्य से मार्च 2023 में पूरे भारत में तीन तेल कंपनियों- इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल), और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) के ईंधन आउटलेट पर 7,432 सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन (पीसीएस) स्थापित करने के लिए 800 करोड़ रुपए की मंजूरी दी। मार्च 2024 में 980 चार्जिंग स्टेशनों को अपग्रेड करने के लिए अतिरिक्त 73.50 करोड़ रुपए मंजूर किए गए, जिसमें विभिन्न राज्यों में रुचि की अभिव्यक्ति के माध्यम से 400 और चार्जिंग स्टेशन स्वीकृत किए गए।
वहीं, 9,332 ईवी पीसीएस की स्थापना के लिए कुल 912.50 करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं जिनमें से 8,885 ईवी पीसीएस 30 जून, 2025 तक स्थापित कर दिए गए हैं, जो देश के इलेक्ट्रिक परिवहन के बुनियादी ढांचे को सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
भारत में ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट उद्योग के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना (पीएलआई-ऑटो)
पीएलआई योजना घरेलू नवाचार के साथ उन्नत ऑटोमोटिव प्रौद्योगिकियों के लिए वैश्विक केंद्र बनने की भारत की महत्वाकांक्षा को बढ़ावा दे रही है। सितंबर 2021 में शुरू की गई ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट उद्योग के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना में उन्नत ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजीज (एएटी) के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 25,938 करोड़ रुपए का बजट रखा गया है। मार्च 2025 तक इस योजना ने 29,576 करोड़ रुपए का कुल निवेश आकर्षित किया और 44,987 नौकरियों का सृजन किया है। टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसे प्रमुख खिलाड़ियों ने महत्वपूर्ण ईवी उत्पादन में निवेश के साथ कदम बढ़ाया है। यह भी अनिवार्य है कि कंपनियों को प्रोत्साहन संबंधी अर्हता प्राप्त करने के लिए घरेलू स्तर पर कम से कम 50प्रतिशत मूल्य संवर्धन (डीवीए) सुनिश्चित करना चाहिए।
उन्नत रसायन विज्ञान सेल (एसीसी) बैटरी भंडारण पर राष्ट्रीय कार्यक्रम के लिए पीएलआई योजना
बैटरी इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की धड़कन हैं और एसीसी पीएलआई योजना के साथ भारत अपने भविष्य को अंदरूनी ताकत देने, आयात को कम करने और अपने ही यहां अत्याधुनिक ऊर्जा भंडारण क्षमताओं का निर्माण करने के लिए तैयार है। एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल (एसीसी) बैटरी भंडारण के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना की शुरूआत 2021 में की गई, जिसका उद्देश्य 18,100 करोड़ रुपये के निवेश के साथ 50 गीगावाट घंटे (GWh) एसीसी बैटरी के लिए भारत की बैटरी निर्माण क्षमता को तेजी से बढ़ाना है।
पीएम ई-ड्राइव
हालांकि, सड़कों पर चलने वाले ट्रकों की संख्या केवल 3 प्रतिशत है लेकिन जब प्रदूषण की बात आती है तो वे अत्यधिक नुकसान पहुंचाने वाले होते हैं। उनसे कार्बन डाय ऑक्साइड का कुल उत्सर्जन का 34प्रतिशत और धूल, कालिख और धुएं जैसे सूक्ष्म कणों (पार्टिकुलेट मैटर) (पीएम) उत्सर्जन का 53प्रतिशत तक होता है, जो चौंका देने वाला है। वहीं, बसें भी केवल 1प्रतिशत से कम हैं, लेकिन पर्यावरण में उनका असर भी कम नहीं है, बल्कि उनसे होने वाला कार्बन डाय ऑक्साइड का उत्सर्जन लगभग 15 प्रतिशत है।
पीएम ई-ड्राइव भारत में इलेक्ट्रिक परिवहन में तेजी लाने के लिए 10,900 करोड़ रुपए की एक व्यापक पहल
सितंबर 2024 में स्वीकृत और मार्च 2028 तक लागू किए जाने के लिए प्रस्तावित इनोवेटिव व्हीकल एन्हांसमेंट में पीएम इलेक्ट्रिक ड्राइव क्रांति (पीएम ई ड्राइव) शहरी वायु गुणवत्ता में सबसे अधिक दबाव वाली चुनौतियों में से एक से निपटने के लिए इस तरह के उत्सर्जन पर अंकुश लगाने के लिए केंद्रित प्रयास है। यह भारत में इलेक्ट्रिक परिवहन में तेजी लाने के लिए 10,900 करोड़ रुपये की एक व्यापक पहल है। जुलाई 2025 तक इस योजना ने सब्सिडी प्रदान करके उपभोक्ताओं को प्रोत्साहित किया है। 24.79 लाख ई-टूव्हीलर (1,772 करोड़ रुपए सब्सिडी के साथ), 3.15 लाख ईथ्रीव्हीलर (907 करोड़ रुपए की सब्सिडी), 5,643 ईट्रक (500 करोड़ रुपए, इलेक्ट्रिक ट्रकों के लिए सरकार की पहली प्रत्यक्ष प्रोत्साहन योजना), ई-एम्बुलेंस (500 करोड़ रुपए सब्सिडी) को इस योजना से लाभ हुआ है। इस योजना ने जुलाई 2025 तक 4,391 करोड़ रुपये के वित्त पोषण के साथ 14,028 इलेक्ट्रिक बसों के लिए सहयोग दिया है।
ईवी सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए 2,000 करोड़ रुपए आवंटित
इसके अतिरिक्त, राजमार्गों और शहरी क्षेत्रों में ईवी सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए 2,000 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं, जबकि ईवी परीक्षण के बुनियादी ढांचे के उन्नयन के लिए 780 करोड़ रुपये अलग से रखे गए हैं। इन उपायों का उद्देश्य टिकाऊ और हरित परिवहन के लिए देश की प्रतिबद्धता के अनुरूप ईवी को अपनाने में आनेवाली बाधाओं को दूर करना, भारत में इलेक्ट्रिक वाहन के अनुकूल परिवेश को मजबूत करना, घरेलू विनिर्माण का समर्थन करना और प्रदूषण घटाना है ।
भारत में इलेक्ट्रिक यात्री कारों के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना
इलेक्ट्रिक कार निर्माण के लिए एक वैश्विक केंद्र बनने के भारत के लक्ष्य को मार्च 2024 में अधिसूचित योजना एसपीएमईपीसीआई के साथ गति दी गई है। इसके लिए आवेदकों को कम से कम 4,150 करोड़ रुपए के निवेश की प्रतिबद्धता होना चाहिए, उन्हें तीन साल में 25प्रतिशत घरेलू मूल्य संवर्धन (डीवीए) प्राप्त करना चाहिए और पांच साल के अंत तक 50प्रतिशत तक डीवीए वृद्धि होनी चाहिए। एसपीएमईपीसीआई के लिए आवेदन पोर्टल 24 जून 2025 को लॉन्च किया गया और इसमें 21 अक्टूबर 2025 तक आवेदन किया जा सकता है।
वैश्विक वाहन निर्माताओं को निवेश करने के लिए आकर्षित करने के उद्देश्य से यह योजना स्वीकृत आवेदकों को आवेदन की स्वीकृति की तिथि से 15प्रतिशत के काफी कम सीमा शुल्क पर इलेक्ट्रिक चार-पहिया वाहनों (ई-4डब्ल्यू) की पूरी तरह से निर्मित इकाइयों (सीबीयू) को आयात करने के लिए पांच साल का समय प्रदान करती है, जिनका न्यूनतम सीआईएफ (लागत, बीमा और माल ढुलाई) 35,000 अमरीकी डालर हो। यह योजना ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के साथ-साथ स्वच्छ-परिवहन के विकास को आगे बढ़ाने के लिए स्थानीयकरण के साथ प्रोत्साहन को जोड़ती है।
पीएम-ईबस सेवा योजना
पीएम ईबस सेवा योजना स्वच्छ शहरी यात्रा की दिशा में बड़ी छलांग लगाते हुए भारत की सड़कों पर हजारों इलेक्ट्रिक बसें लाकर सार्वजनिक परिवहन को नया आकार देने के लिए तैयार है। यह हर सवारी के लिए आरामदेह, संपर्क में आसान और टिकाऊ है। सरकार ने शहरों में सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने के लिए अगस्त 2023 में यह योजना शुरू की। सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के तहत 10,000 इलेक्ट्रिक बसों के लिए 20,000 करोड़ रुपये के बजट के साथ यह योजना शहरी यात्रा को स्वच्छ और अधिक सामर्थ्यवान बनाने पर केंद्रित है। इसके लिए पात्र शहरों में 3 से 40 लाख के बीच की आबादी वाले शहरों के साथ-साथ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की वे राजधानियां भी शामिल हैं जिनकी जनसंख्या 2011 की जनगणना के अनुसार 3 लाख से कम हो। अगस्त 2025 तक, 14 राज्यों और 4 केंद्र शासित प्रदेशों में 7,293 इलेक्ट्रिक बसों को मंजूरी दी गई है।
वहीं, ई-बसों के विस्तार में सहयोग के उद्देश्य से 12 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में डिपो और बिजली बुनियादी ढांचे के लिए 1,062.74 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं, जिसमें प्रमुख सुविधाओं के लिए 9 राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों को 475.44 करोड़ रुपये पहले ही वितरित किए जा चुके हैं।
पीएम ई-बस सेवा-भुगतान सुरक्षा तंत्र (पीएसएम) योजना
इसके अलावा, इलेक्ट्रिक वाहनों को चालू रखते हुए, अक्टूबर 2024 में स्वीकृत 3,435.33 करोड़ रुपये की पहल पीएम-ईबस सेवा-पीएसएम योजना का उद्देश्य वित्त वर्ष 2024-25 और वित्त वर्ष 2028-29 के बीच पूरे भारत में 38,000 से अधिक इलेक्ट्रिक बसें चलाने में सहयोग करना है, जिसमें उनकी तैनाती की तारीख से 12 साल तक संचालन में मदद शामिल है । इस योजना का उद्देश्य ई-बस ऑपरेटरों के लिए वित्तीय सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करना है, जो सार्वजनिक परिवहन प्राधिकरणों (पीटीए) द्वारा चूक की स्थिति में भुगतान सुरक्षा तंत्र बनाता है। पीएम ई-बस सेवा योजना बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रिक बसें चलाने की व्यवस्था को सक्षम करके और भुगतान सुरक्षा के माध्यम से परिचालन जोखिमों पर ध्यान देकर भविष्य में भारत के शहरी परिवहन को जारी रखेगी।
इंडिया इलेक्ट्रिक मोबिलिटी इंडेक्स
भारत के स्वच्छ परिवहन के भविष्य को आकार देने की दिशा में एक बड़े कदम में, नीति आयोग ने अगस्त 2025 में इंडिया इलेक्ट्रिक मोबिलिटी इंडेक्स (आईईएमआई) का अनावरण किया, जो इस दिशा में उठाए गए कदमों की निगरानी, हिसाब-किताब रखने तथा राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की ओर से उनकी इलेक्ट्रिक परिवहन संबंधी महत्वाकांक्षाओं की दिशा में प्रगति की तुलना के लिए तैयार किया गया अपनी तरह का पहला उपकरण है। अपनी तरह का यह पहला ढांचा न केवल उपलब्धियों को मानक कसौटी पर कसता है, बल्कि इसकी एक स्पष्ट तस्वीर भी प्रदान करता है कि प्रत्येक क्षेत्र एक विद्युतीकृत, टिकाऊ परिवहन के अनुकूल परिवेश के लिए कहां खड़ा है।
आईईएमआई स्कोर की गणना तीन मुख्य विषयों के तहत 16 संकेतकों में प्रदर्शन का आकलन करके की जाती है–परिवहन विद्युतीकरण प्रगति, चार्जिंग के बुनियादी ढांचे की तैयरी तथा इलेक्ट्रिक वाहनों से जुड़े अनुसंधान और नवाचार की स्थिति। इन क्षेत्रों में उच्च स्कोर मजबूत, अधिक उन्नत इलेक्ट्रिक परिवहन के परिदृश्य की ओर संकेत करता है। इन परिणामों के आधार पर क्षेत्रों को इनके लिए अनुकूल परिवेश से संपन्न, इन क्षेत्रों में कार्य करने वालों के लगातार प्रगति करने और आकांक्षियों के साथ अग्रणी के रूप में स्थान दिया गया है, जिन्हें अपनी यात्रा में तेजी लाने के लिए लक्षित समर्थन की आवश्यकता है। दिल्ली, महाराष्ट्र और चंडीगढ़ हालिया आईईएमआई स्कोर में ‘सबसे आगे बढ़ने वालों’ के रूप में अग्रणी हैं।
देश हरित ऊर्जा और विद्युतीकरण के लिए हो रहे बदलाव में महत्वपूर्ण प्रगति कर रहा है
भारत हरित ऊर्जा और विद्युतीकरण के लिए हो रहे बदलाव में महत्वपूर्ण प्रगति कर रहा है। सुस्पष्ट दृष्टि और निर्णायक लक्ष्यों के साथ आगे का रोडमैप स्वच्छ हवा, मजबूत बुनियादी ढांचे और भविष्य के लिए तैयार पारगमन नेटवर्क के लिए राह तैयार करता है। भारत सरकार ने वैश्विक EV30@30 पहल के अनुरूप 2030 तक 30प्रतिशत ईवी के इस्तेमाल का लक्ष्य प्राप्त करने का दृष्टिकोण निर्धारित किया है।
भारत ने महत्वाकांक्षी हरित क्षितिज पर अपनी निगाह रखी है, जिसका लक्ष्य 2030 तक अनुमानित कार्बन उत्सर्जन को 1 बिलियन टन तक कम करना है। कम उत्सर्जन वाले भविष्य की दिशा में निर्णायक कदम के रूप में भारत का लक्ष्य 2030 तक अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता को 45प्रतिशत से कम करना है और अंततः 2070 तक दश को नेट-ज़ीरो राष्ट्र में बदलना है।
भारत में हरित परिवहन अब केवल एक आकांक्षा नहीं है, यह एक ऐसा आंदोलन है जो राष्ट्र में आवागमन, सांस लेने और विकास के तरीके को नया आकार दे रहा है। भारत का हरित परिवहन अभियान नए सिरे से परिवहन की गाथा लिख रहा है, इंजनों की गर्जना को नवाचार की शांत गूंज में बदल रहा है। शहर की सड़कों पर तैरने वाली चमकदार इलेक्ट्रिक बसों से लेकर चार्जिंग पॉइंट के साथ पंक्तिबद्ध राजमार्गों तक, राष्ट्र एक ऐसे नेटवर्क का निर्माण कर रहा है, जहां गति का मिलन टिकाऊ व्यवस्था से होता है।