भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी को नई दिशा, कनेक्टिविटी और आर्थिक सहयोग पर विशेष जोर

भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी को नई दिशा, कनेक्टिविटी और आर्थिक सहयोग पर विशेष जोर

भारत और रूस के बीच दशकों पुराना रणनीतिक संबंध वैश्विक चुनौतियों और अनिश्चितताओं के बीच भी मजबूत बना हुआ है। चिंतन रिसर्च फाउंडेशन (CRF) के मुताबिक दोनों देशों की साझेदारी परमाणु, अंतरिक्ष, रक्षा, क्षेत्रीय और द्विपक्षीय सहयोग जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में व्यापक रूप से विकसित हुई है। इसी पृष्ठभूमि में नई दिल्ली में आयोजित 23वें वार्षिक भारत-रूस शिखर सम्मेलन का महत्व और बढ़ गया है। यह वर्ष दोनों देशों के बीच 25 वर्ष की औपचारिक रणनीतिक साझेदारी और 15 वर्ष की विशेष एवं विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी का भी प्रतीक है।

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा को वर्ष 2030 तक आर्थिक सहयोग को मजबूत करने वाली ठोस कार्ययोजना का परिणाम माना जा रहा है। मॉस्को स्कूल ऑफ मैनेजमेंट SKOLOVO की इंडिया स्टडीज प्रमुख और RAS इंस्टीट्यूट ऑफ ओरिएंटल स्टडीज की वरिष्ठ फेलो लिडिया कुलिक ने कहा कि भारत-रूस संबंध “उदाहरणीय, भरोसेमंद और स्थिर” रहे हैं। उन्होंने कहा कि बीते कुछ वर्षों की वैश्विक घटनाओं की अनिश्चितताओं के बावजूद दोनों देशों का रिश्ता मजबूती से खड़ा रहा है। CRF द्वारा आयोजित इस विशेषज्ञ वार्ता की उन्होंने सराहना की और कहा कि यह कार्यक्रम दोनों देशों को और अधिक स्थिरता तथा विश्वसनीयता प्रदान करने में सहायक होगा।

CRF के अध्यक्ष शिशिर प्रियदर्शी ने प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि भारत और रूस का संबंध केवल राजनयिक औपचारिकताओं पर नहीं, बल्कि परस्पर सम्मान, रणनीतिक सामंजस्य और एक-दूसरे के प्रमुख हितों को समझने पर आधारित रहा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति पुतिन की यात्रा दोनों देशों को कनेक्टिविटी परियोजनाओं, नए आर्थिक अवसरों और रणनीतिक चुनौतियों पर मिलकर काम करने का अवसर देती है। वार्ता के दौरान विशेषज्ञों ने बताया कि हाल के वर्षों में भारत-रूस व्यापार बढ़ा है और दोनों देश अब व्यापार विविधीकरण तथा डिजिटल सहयोग पर भी काम कर रहे हैं।

लिडिया कुलिक ने भारत की पश्चिमी देशों के रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के समय तटस्थ रुख और रूस की आर्थिक स्थिरता को संबंधों की मजबूती का प्रमुख कारण बताया। उन्होंने कहा कि पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद रूस की अर्थव्यवस्था ने अपेक्षाओं के विपरीत विकास किया है और स्थानीय उद्यमियों ने नए अवसरों का लाभ उठाया है। उन्होंने भारत और रूस के बीच कनेक्टिविटी को बढ़ाने की आवश्यकता बताते हुए कहा कि फिलहाल दोनों देशों के बीच सिर्फ एक सीधी उड़ान है, जबकि रूस-चीन के बीच कई उड़ानें संचालित होती हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि भारत-रूस के बीच वीजा-फ्री यात्रा जैसी सुविधा पर विचार किया जा सकता है। इसके साथ ही उन्होंने नॉर्थ-साउथ कनेक्टिविटी, नॉर्दर्न सी रूट और चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री गलियारे जैसी परियोजनाओं को मजबूत करने पर भी जोर दिया, जिनकी व्यवहार्यता रूस पहले से अध्ययन कर रहा है।

उन्होंने कहा कि भारत-रूस आर्थिक साझेदारी को आगे बढ़ाने में लॉजिस्टिक्स, लागत से जुड़ी चुनौतियों और बाल्कन तथा ब्लैक सी क्षेत्र की सुरक्षा जैसी चिंताएँ भी महत्वपूर्ण हैं। CRF द्वारा आयोजित यह विशेषज्ञ वार्ता-“रूस और भारत : वैश्विक परिवर्तन की पृष्ठभूमि में कनेक्टिविटी परियोजनाएं” 4 दिसंबर 2025 को नई दिल्ली में आयोजित की गई,जिसमें सरकार, शिक्षा जगत, उद्योग, मीडिया और रणनीतिक समुदाय के विशेषज्ञ शामिल हुए।-(ANI)