
संसद का मानसून सत्र 2025 को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। यह सत्र 21 जुलाई से शुरू होकर 21 अगस्त तक चला। इस दौरान 32 दिनों में कुल 21 बैठकें हुईं। सत्र में 14 विधेयक लोकसभा में पेश किए गए, एक विधेयक वापस लिया गया और 15 विधेयक लोकसभा और राज्यसभा दोनों से पारित हुए। सत्र के दौरान कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई, जिनमें पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर पर विस्तृत बहस शामिल रही। लोकसभा में इस मुद्दे पर 18 घंटे 41 मिनट तक चर्चा हुई, जिसमें 73 सांसदों ने भाग लिया और प्रधानमंत्री ने जवाब दिया, जबकि राज्यसभा में 16 घंटे 25 मिनट की चर्चा के दौरान 65 सांसदों ने हिस्सा लिया और गृहमंत्री ने जवाब दिया।
वहीं सत्र में कई अहम विधेयक पारित किए गए, जिनमें आयकर (संशोधन) विधेयक 2025, राष्ट्रीय खेल संचालन विधेयक 2025, ऑनलाइन गेमिंग (प्रोत्साहन और विनियमन) विधेयक 2025, पोर्ट्स और शिपिंग से जुड़े पांच विधेयक, भारतीय प्रबंधन संस्थान (संशोधन) विधेयक 2025 और खनन एवं खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक 2025 शामिल हैं। दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (संशोधन) विधेयक 2025 और जन विश्वास (संशोधन) विधेयक 2025 को चयन समिति के पास भेजा गया, जबकि संविधान (130वां संशोधन) विधेयक 2025, केंद्रशासित प्रदेश शासन (संशोधन) विधेयक 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025 को संयुक्त समिति को सौंपा गया।
इसके अलावा मणिपुर में राष्ट्रपति शासन को 13 अगस्त 2025 से अगले छह महीने के लिए बढ़ाने की मंजूरी दी गई और राज्य का बजट एवं विनियोग विधेयक भी पारित किया गया। भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री के अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर पहुंचने और ‘विकसित भारत 2047’ में अंतरिक्ष कार्यक्रम की भूमिका पर भी चर्चा शुरू हुई, लेकिन बार-बार के व्यवधान के कारण यह पूरी नहीं हो सकी।
बार-बार के व्यवधानों के चलते सदनों की प्रोडक्टिविटी प्रभावित रही। लोकसभा की उत्पादकता लगभग 31 प्रतिशत रही, जिसमें 120 घंटे के कुल समय में से केवल 37 घंटे की ही कार्यवाही हो पाई, जबकि राज्यसभा की उत्पादकता लगभग 39 प्रतिशत रही, जिसमें कुल 41 घंटे 15 मिनट तक ही काम हो पाया।
