राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने गांधी जयंती की पूर्व संध्या पर देशवासियों को दीं शुभकामनाएं, सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने का किया आह्वान

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने गांधी जयंती की पूर्व संध्या पर देशवासियों को दीं शुभकामनाएं, सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने का किया आह्वान

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज बुधवार को देशवासियों को गांधी जयंती की पूर्व संध्या पर शुभकामनाएं दीं और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को उनकी 156वीं जयंती पर श्रद्धांजलि दी। अपने संदेश में राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि गांधी जयंती हमारे लिए ऐसा अवसर है जब हम दोबारा गांधीजी के आदर्शों और मूल्यों को अपनाने का संकल्प ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि गांधीजी का संदेश-शांति, सहिष्णुता और सत्य पूरी मानवता को प्रेरित करता है और आज भी उतना ही प्रासंगिक है।

राष्ट्रपति ने याद दिलाया कि गांधीजी ने अपने जीवन में हमेशा अछूत प्रथा, निरक्षरता, नशे की लत और अन्य सामाजिक बुराइयों के खिलाफ संघर्ष किया। वह समाज के कमजोर और वंचित वर्गों के सशक्तिकरण के पक्षधर थे। उन्होंने नैतिकता, आचार और सत्यनिष्ठा को जीवन का मूलमंत्र माना। उन्होंने कहा कि गांधीजी का विचार आत्मनिर्भरता पर आधारित था और चरखा उसका प्रतीक था। चरखा उनके लिए एक ऐसे भारत का सपना था जो स्वावलंबी और शिक्षित हो। साथ ही, गांधीजी ने यह भी सिखाया कि हर काम की अपनी गरिमा होती है और हमें श्रम की गरिमा का सम्मान करना चाहिए।

राष्ट्रपति मुर्मु ने आगे कहा कि गांधीजी के आदर्श और सिद्धांत आने वाले समय में भी हमें मार्गदर्शन देते रहेंगे। उन्होंने नागरिकों से अपील की कि इस पावन दिन पर हम सब सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने, राष्ट्र की उन्नति और कल्याण के लिए कार्य करने और गांधीजी के स्वप्न को साकार करने का संकल्प लें। उन्होंने कहा कि हमें मिलकर एक ऐसा भारत बनाना है जो स्वच्छ, सक्षम, सशक्त और समृद्ध हो।