
भारतीय वायुसेना (IAF) ने आज शुक्रवार को अपने दिग्गज लड़ाकू विमान मिग-21 को विदाई दी, जिसने 63 वर्षों तक देश की हवाई शक्ति का अहम हिस्सा बनकर सेवा की। इस ऐतिहासिक मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विमान को श्रद्धांजलि देते हुए इसे साहस, बलिदान और राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बताया। चंडीगढ़ एयरफोर्स स्टेशन पर आयोजित समारोह में वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए. पी. सिंह ने मिग-21 की अंतिम उड़ान का नेतृत्व किया। विमान ने तीन विमानों की “बादल फॉर्मेशन” में उड़ान भरी, जबकि वायुसेना की सूर्य किरण एरोबैटिक टीम (Surya Kiran Aerobatics Team) ने बीएई हॉक Mk132 विमानों के साथ हवाई करतब दिखाए। मिग-21 को जल तोपों की सलामी दी गई और एक प्रतीकात्मक क्षण में एयर चीफ ने विमान का फॉर्म 700 लॉगबुक रक्षा मंत्री को सौंपा।
समारोह को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, “लंबे समय तक मिग-21 अनेक वीर गाथाओं का साक्षी रहा है। 1971 के युद्ध से लेकर कारगिल संघर्ष तक, बालाकोट एयरस्ट्राइक से ऑपरेशन सिंदूर तक हर क्षण इसने हमारी सेनाओं को अपार शक्ति दी है।” उन्होंने 1971 के युद्ध को याद करते हुए कहा, “कौन भूल सकता है जब मिग-21 ने ढाका के गवर्नर हाउस पर हमला किया था और उसी दिन उस युद्ध का परिणाम तय हो गया था।”
रक्षा मंत्री ने कहा कि मिग-21 केवल एक विमान नहीं, बल्कि भारतीय वायुसेना का एक अभिन्न परिवार सदस्य रहा है, जिसने आत्मविश्वास जगाया, रणनीति को मजबूत किया और भारत को वैश्विक मंच पर स्थापित करने में योगदान दिया। उन्होंने मिग-21 को भारत-रूस मित्रता का प्रतीक भी बताया। राजनाथ सिंह ने यह भी स्पष्ट किया कि हाल के वर्षों में उड़ाए गए मिग-21 विमान 60 साल पुराने नहीं थे, बल्कि ज्यादातर लगभग 40 साल पुराने थे, जो ऐसे विमानों के लिए सामान्य है। उन्होंने हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) की सराहना की जिसने मिग-21 को आधुनिक रडार और एवियोनिक्स से लैस किया।
समारोह के दौरान एक प्रतीकात्मक उड़ान में मिग-21 विमानों ने स्वदेशी तेजस लड़ाकू विमान के साथ उड़ान भरी। इसका संदेश था-“मैं गौरव अगली पीढ़ी को सौंपता हूँ।” मिग-21 को 1963 में भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था और इसने 63 वर्षों तक देश की रक्षा की।-
