
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने ‘विकसित भारत- जी राम जी’ बिल को लेकर कांग्रेस द्वारा लगाए जा रहे आरोपों को पूरी तरह निराधार बताया है। मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि कांग्रेस और कुछ अन्य लोग यह गलत प्रचार कर रहे हैं कि यह बिल प्रगतिशील नहीं है और इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर कम हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि यह दावा सरासर झूठ है।
‘विकसित भारत जी राम जी’ बिल का मूल उद्देश्य ग्रामीण भारत को सशक्त बनाना है
प्रह्लाद जोशी ने कहा कि ‘विकसित भारत जी राम जी’ बिल का मूल उद्देश्य ग्रामीण भारत को सशक्त बनाना है। यह योजना न केवल रोजगार के अवसर बढ़ाएगी, बल्कि ग्रामीण बुनियादी ढांचे को भी सुदृढ़ करेगी। इस विधेयक के तहत रोजगार के दिनों की संख्या 100 से बढ़ाकर 125 दिन कर दी गई है, जिससे गांवों में रहने वाले लोगों को अधिक काम और आय प्राप्त होगी।
125 दिनों का रोजगार उपलब्ध होने से गांवों से शहरों की ओर होने वाला पलायन भी होगा कम
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 125 दिनों का रोजगार उपलब्ध होने से गांवों से शहरों की ओर होने वाला पलायन भी कम होगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि प्रत्येक कार्य पर संबंधित अधिकारी निगरानी रखेंगे, जिससे पारदर्शिता बनी रहेगी और योजनाओं का लाभ पात्र लोगों तक पहुंचेगा।
मौजूदा सरकार की मंशा स्पष्ट है- ग्रामीण क्षेत्रों में मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर किया जाए विकसित
प्रह्लाद जोशी ने पूर्ववर्ती योजनाओं पर सवाल उठाते हुए कहा कि अब तक मनरेगा के तहत दो लाख करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया गया, लेकिन इसके बावजूद ठोस बुनियादी ढांचा विकसित नहीं हो सका। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार की मंशा स्पष्ट है- ग्रामीण क्षेत्रों में मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया जाए और लोगों को उनके गांवों में ही रोजगार उपलब्ध कराया जाए, ताकि उन्हें पलायन न करना पड़े।
मजदूरी पर होने वाले खर्च में केंद्र और राज्य सरकार की हिस्सेदारी 60:40 के अनुपात में होगी
‘विकसित भारत- जी राम जी’ बिल के तहत हर ग्रामीण परिवार को न्यूनतम 125 दिनों का रोजगार दिया जाएगा। यह रोजगार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के माध्यम से उपलब्ध कराया जाएगा। मजदूरी पर होने वाले खर्च में केंद्र और राज्य सरकार की हिस्सेदारी 60:40 के अनुपात में होगी। वहीं, पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिए यह अनुपात 90:10 निर्धारित किया गया है। बिना विधायिका वाले केंद्र शासित प्रदेशों में पूरी लागत केंद्र सरकार वहन करेगी।
यदि कोई व्यक्ति काम मांगने के 15 दिनों के भीतर रोजगार प्राप्त नहीं कर पाता है, तो उसे भत्ता दिया जाएगा
इसके अलावा, यदि कोई व्यक्ति काम मांगने के 15 दिनों के भीतर रोजगार प्राप्त नहीं कर पाता है, तो उसे भत्ता दिया जाएगा, जिसका पूरा खर्च सरकार उठाएगी। योजना में 60 दिनों की ‘नो वर्क’ विंडो का भी प्रावधान रखा गया है। (इनपुट: आईएएनएस)
