
आज विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जा रहा है। हर वर्ष 10 सितंबर को इसे वैश्विक स्तर पर आत्महत्याओं को रोकने के लिए जागरूकता बढ़ाने, करुणा को बढ़ावा देने और सामूहिक कार्रवाई को प्रोत्साहित करने के लिए मनाया जाता है।
क्या है विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस?
विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस की शुरुआत 2003 में इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सुसाइड प्रिवेंशन (आईएएसपी) द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के सह-प्रायोजन से की गई थी। यह दिवस सरकारों, संगठनों और जनता को एक ही संदेश के साथ एकजुट करता है-आत्महत्या रोकी जा सकती है। विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस (2024-2026) का त्रैवार्षिक थीम “आत्महत्या पर नैरेटिव को बदलना” है। यह थीम हम सभी से हानिकारक मिथकों को चुनौती देने, कलंक (स्टिग्मा) को कम करने और आत्महत्या के बारे में खुली और सौहार्दपूर्ण बातचीत को बढ़ावा देने का आह्वान करती है।
महत्वपूर्ण है यह दिन
यह दिन बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि हर साल, विश्व स्तर पर 727,000 से अधिक लोग आत्महत्या से मरते हैं (2021 के आंकड़े), और प्रत्येक मृत्यु के लिए, अनुमानित 20 आत्महत्या के प्रयास किए जाते हैं। 2021 में, विश्व स्तर पर 15-29 वर्ष की आयु के लोगों में मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण आत्महत्या थी, जो व्यापक हस्तक्षेप रणनीतियों की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करता है।
भारत में आत्महत्या के कारण-व्यापकता, ट्रेंड और प्रमुख जनसांख्यिकी
दरअसल, दुनिया भर में साल भर होने वाली कुल आत्महत्याओं में भारत में एक तिहाई महिलाओं की और लगभग एक चौथाई संख्या पुरुषों की होती है। औसतन, भारत में हर साल 100,000 से ज़्यादा लोग आत्महत्या से अपनी जान गंवा देते हैं। इसके मुख्य कारण हैं-
लिंग वितरण
पुरुष- सभी आत्महत्याओं का 72.5%
महिलाएं- सभी आत्महत्याओं का 27.4%
पुरुष, महिलाओं की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक आत्महत्याएं करते हैं।
आयु जनसांख्यिकी
आत्महत्याओं में सबसे ज़्यादा हिस्सेदारी (34.5%) 18-30 वर्ष आयु वर्ग की है।
30-45 वर्ष आयु वर्ग 31.7% के साथ दूसरे स्थान पर है। कुल मिलाकर, 18-45 वर्ष आयु वर्ग भारत में कुल आत्महत्याओं का 66% योगदान देता है।
आत्महत्या के प्रमुख कारण (कुल मिलाकर)
पारिवारिक समस्याएं – 31.7%
बीमारी – 18.4%
नशीली दवाओं का दुरुपयोग/शराब की लत – 6.9%
विवाह संबंधी समस्याएं – 4.8%
प्रेम संबंध – 4.6%
दिवालियापन/ऋणग्रस्तता – 3.3%
बेरोज़गारी – 2.6%
कुल व्यापकता- भारत में, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, 2017 में प्रति लाख जनसंख्या पर 9.9 की दर से आत्महत्याओं में लगातार वृद्धि देखी गई, जो 2022 में बढ़कर प्रति लाख जनसंख्या पर 12.4 हो गई।
सरकार आत्महत्या की रोकथाम के लिए कई तरह की पहल कर रही है
गौरतलब हो , भारत आत्महत्या की रोकथाम के लिए कई तरह की पहल कर रहा है। 2022 में शुरू की गई राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति (एनएसपीएस) का लक्ष्य 2030 तक आत्महत्या से होने वाली मौतों को 10% तक कम करना है। पहुंच बढ़ाने के लिए, टेली-मानस हेल्पलाइन अब 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 53 केंद्रों के साथ काम कर रही है, जिसने दस लाख से ज़्यादा कॉल को संभाला है। वहीं, जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (डीएमएचपी) 767 जिलों में सामुदायिक स्तर पर संकट देखभाल प्रदान करता है।
इसके अलावा, मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को 1.78 लाख से ज़्यादा आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में भी शामिल किया गया है, साथ ही एम्स उत्कृष्टता केंद्रों और सरकारी मेडिकल कॉलेजों में क्षमता को मज़बूत किया गया है। युवाओं के लिए, राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरकेएसके), स्कूल स्वास्थ्य और कल्याण कार्यक्रम, और मनोदर्पण जैसी पहल स्कूलों और समुदायों में महत्वपूर्ण सहायता प्रदान करती हैं।
आत्महत्या की घटना दर अलग-अलग राज्यों में भिन्न है
भौगोलिक भिन्नताएं -आत्महत्या की घटना दर अलग-अलग राज्यों में भिन्न है। जहां बिहार में यह प्रति 100,000 जनसंख्या पर 0.6 है, वहीं सिक्किम में यह प्रति 100,000 जनसंख्या पर 43.1 है। 2022 में, दक्षिणी शहरों विजयवाड़ा (प्रति 100,000 जनसंख्या पर 42.6) और कोल्लम (प्रति 100,000 जनसंख्या पर 42.5) में आत्महत्या की सबसे अधिक दरें दर्ज की गईं।
दिल्ली मेट्रो का अभियान
आपको बता दें, पिछले वर्ष, दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) ने विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाने के लिए एक विशेष जागरूकता अभियान चलाया। इस पहल का उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों से जूझ रहे लोगों के लिए समझ, करुणा और सहयोग को बढ़ावा देना था। अभियान के तहत डीएमआरसी ने दिल्ली के प्रमुख मेट्रो स्टेशनों पर बैनर और डिजिटल डिस्प्ले लगाए, जिन पर उम्मीद और धैर्य के संदेश थे। यह जागरूकता अभियान ऑनलाइन प्लेटफॉर्म तक भी फैला, जिसमें मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बातचीत शुरू करने के लिए सोशल मीडिया पर सक्रिय भागीदारी की गई।
विज़ुअल और डिजिटल दोनों माध्यमों से यात्रियों तक पहुंचकर, 2024 के इस अभियान ने एक सहायक वातावरण बनाने और मानसिक स्वास्थ्य के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए डीएमआरसी की प्रतिबद्धता को और मजबूत किया।
मनोदर्पण पहल
मनोदर्पण शिक्षा मंत्रालय (पूर्व में एमएचआरडी) द्वारा शुरू की गई एक राष्ट्रव्यापी पहल है। इसे ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के तहत छात्रों, शिक्षकों और परिवारों के मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक कल्याण के लिए मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करने के लिए शुरू किया गया था।
इस पहल के मुख्य भागों में शामिल है-
- वेब पोर्टल: मानसिक स्वास्थ्य के लिए संसाधन, एफएक्यू, पोस्टर, वीडियो और सुझाव।
- 24×7 टोल-फ्री हेल्पलाइन (8448440632): प्रशिक्षित मनोवैज्ञानिकों द्वारा टेली-काउंसलिंग।
- काउंसलर डायरेक्टरी: स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में काउंसलरों का एक राष्ट्रीय डेटाबेस।
- प्रकाशन: लचीलेपन और जीवन कौशल को विकसित करने के लिए ’21वीं सदी के कौशल की हैंडबुक’।
- इंटरैक्टिव प्लेटफॉर्म: मनोवैज्ञानिक सहायता के लिए ऑनलाइन टूल्स, चैटबॉट्स और ऐप्स।
भविष्य की राह
भारत आत्महत्या की रोकथाम के लिए कई तरह की पहल कर रहा है। 2022 में शुरू की गई राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति (एनएसपीएस) का लक्ष्य 2030 तक आत्महत्या से होने वाली मौतों को 10% तक कम करना है। पहुंच बढ़ाने के लिए, टेली-मानस हेल्पलाइन अब 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 53 केंद्रों के साथ काम कर रही है, जिसने दस लाख से ज़्यादा कॉल को संभाला है।
वहीं, जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (डीएमएचपी) 767 जिलों में सामुदायिक स्तर पर संकट देखभाल प्रदान करता है। मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को 1.78 लाख से ज़्यादा आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में भी शामिल किया गया है, साथ ही एम्स उत्कृष्टता केंद्रों और सरकारी मेडिकल कॉलेजों में क्षमता को मज़बूत किया गया है। युवाओं के लिए, राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरकेएसके), स्कूल स्वास्थ्य और कल्याण कार्यक्रम, और मनोदर्पण जैसी पहल स्कूलों और समुदायों में महत्वपूर्ण सहायता प्रदान करती हैं।