सरकार ने खरीफ 2025 के दौरान किसानों के लिए पर्याप्त यूरिया की उपलब्धता सुनिश्चित की

सरकार ने खरीफ 2025 के दौरान किसानों के लिए पर्याप्त यूरिया की उपलब्धता सुनिश्चित की

केंद्र सरकार के उर्वरक विभाग ने खरीफ 2025 सीज़न के दौरान देश भर में यूरिया सहित उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की है। विभिन्न स्टेकहोल्डर्स यानी भारतीय रेलवे, बंदरगाहों, राज्य सरकारों और उर्वरक कंपनियों के साथ समय पर योजना और करीबी समन्वय के माध्यम से, सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि किसानों को बिना किसी कमी के यूरिया की आवश्यक मात्रा मिले।

दरअसल, कृषि और किसान कल्याण विभाग के आकलन के अनुसार 185.39 एलएमटी की आवश्यकता की तुलना में डीओएफ ने 230.53 एलएमटी की उपलब्धता सुनिश्चित की। यह 193.20 एलएमटी की बिक्री से कहीं ज़्यादा थी। यह पूरे भारत में यूरिया की पर्याप्त उपलब्धता को दर्शाता है। जाहिर है, किसानों ने खरीफ-2025 में खरीफ 2024 की तुलना में लगभग 4.08 लाख मीट्रिक टन ज़्यादा यूरिया का इस्तेमाल किया है, जो अच्छे मानसून के कारण ज़्यादा फसल वाले क्षेत्र की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए यूरिया की बेहतर उपलब्धता को दर्शाता है।

आधिकारिक बयान के अनुसार, डीओएफ घरेलू उत्पादन और खपत के बीच के अंतर को आयात के ज़रिए पाटने के लिए लगातार कोशिशें कर रहा है। घरेलू उत्पादन और बढ़ती मांग के बीच के अंतर को पाटने के लिए, सरकार ने आयात बढ़ाने के लिए काफी प्रयास किए। अप्रैल और अक्टूबर 2025 के बीच, भारत ने 58.62 लाख मीट्रिक टन एग्रीकल्चर-ग्रेड यूरिया आयात किया, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह 24.76 लाख मीट्रिक टन था। आयात में इस बढ़ोतरी से न केवल खरीफ 2025 के दौरान यूरिया की बढ़ी हुई मांग पूरी हुई, बल्कि आने वाले रबी सीज़न के लिए पर्याप्त बफर स्टॉक बनाने में भी सहायता मिली। परिणामस्वरूप कुल यूरिया स्टॉक एक अक्टूबर 2025 को 48.64 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 31 अक्टूबर 2025 तक 68.85 लाख मीट्रिक टन हो गया-जो 20.21 लाख मीट्रिक टन की बढ़ोतरी दिखाता है।

वहीं, जुलाई से अक्टूबर 2025 के महीनों में राज्यों को यूरिया की अब तक की सबसे ज़्यादा आपूर्ति (रेक की आवाजाही के मामले में) भी दर्ज की गई। यह किसानों के हित में यूरिया की समय पर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सरकार के सक्रिय प्रयासों को दिखाता है।

इसके अलावा, घरेलू यूरिया उत्पादन में भी सुधार हुआ है, अक्टूबर 2025 में उत्पादन 26.88 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष इसी महीने की तुलना में 1.05 लाख मीट्रिक टन ज़्यादा है। अप्रैल-अक्टूबर के बीच औसत मासिक उत्पादन लगभग 25 लाख मीट्रिक टन रहा। वहीं, नवंबर और दिसंबर के लिए लगभग 17.5 लाख मीट्रिक टन का आयात पहले से ही तय है और ग्लोबल लेवल पर समय पर हस्तक्षेप कर इसे और बढ़ाया जाएगा।

गौरतलब हो, देश में घरेलू उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। असम के नामरूप और ओडिशा के तालचेर में दो यूरिया प्लांट बन रहे हैं, जिनकी सालाना क्षमता 12.7 लाख मीट्रिक टन है। यूरिया उत्पादन बढ़ाने के लिए कई प्रस्ताव मिले हैं और उन पर विचार किया जा रहा है। एक बार स्वीकृति मिलने के बाद ये परियोजनाएं आयात पर भारत की निर्भरता को काफी हद तक कम कर देंगी और यूरिया उत्पादन में आत्मनिर्भरता लाएंगी।