
दिल्ली। केंद्र सरकार ने वर्ष 2015 से लेकर अब तक मत्स्य पालन क्षेत्र में कुल 38,572 करोड़ रुपये का निवेश किया है, जिससे भारत में मछली उत्पादन दोगुना होकर 195 लाख टन तक पहुंच गया है। यह जानकारी मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने एक प्रेस नोट में दी। नोट के मुताबिक वित्त वर्ष 2013-14 में मछली उत्पादन 95.79 लाख टन था, जो 2024-25 में 104 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि के साथ 195 लाख टन हो गया है। सरकार ने यह निवेश “नीली क्रांति” (Blue Revolution) योजना के तहत किया है, जिसके अंतर्गत सभी मौजूदा योजनाओं को एकीकृत किया गया है। इसके परिणामस्वरूप समुद्री उत्पादों का निर्यात 60,500 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है, जबकि झींगा (श्रिम्प) उत्पादन में 270 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
इस अवसर पर, केंद्रीय मत्स्य मंत्री राजीव रंजन सिंह 10 जुलाई को भुवनेश्वर स्थित ICAR-सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेशवाटर एक्वाकल्चर (CIFA) में आयोजित राष्ट्रीय मछुआरा दिवस 2025 समारोह में कई नई पहलें शुरू करेंगे। इनमें नई मत्स्य क्लस्टर की घोषणा, ICAR प्रशिक्षण कैलेंडर का विमोचन, बीज प्रमाणन एवं हैचरी संचालन पर दिशा-निर्देशों का अनावरण शामिल है। इन कदमों का उद्देश्य गुणवत्ता, मानकीकरण और क्षमतावृद्धि को बढ़ावा देना है।
इसके अलावा, केंद्रीय मंत्री पारंपरिक मछुआरों, सहकारी समितियों/FFPOs, किसान क्रेडिट कार्डधारकों और नवाचार करने वाले मत्स्य स्टार्टअप्स को सम्मानित करेंगे। प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMSSY) के तहत समर्थित परियोजनाओं का उद्घाटन और कुछ परियोजनाओं की आधारशिला वर्चुअल रूप से रखी जाएगी। यह कार्यक्रम मत्स्य क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास, उद्यमिता को बढ़ावा देने और समावेशी वृद्धि को उजागर करेगा।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय मछुआरा दिवस हर वर्ष 10 जुलाई को प्रोफेसर डॉ. हीरालाल चौधरी और उनके सहयोगी डॉ. के. एच. अलीकुन्ही के योगदान को स्मरण करते हुए मनाया जाता है। उन्होंने 1957 में भारतीय प्रमुख कार्प (मछली) की प्रजातियों में हाइपोफाइजेशन तकनीक द्वारा कृत्रिम प्रजनन को सफल बनाया, जिससे अंतर्देशीय जलीय कृषि में क्रांति आई।