Author : Aashika Singh

भविष्य के युद्ध परिदृश्यों को ध्यान में रखते हुए, भारतीय सेना ने पूर्वी सिक्किम के ऊंचाई वाले क्षेत्र में ‘दिव्य दृष्टि’ नामक एक उन्नत तकनीकी अभ्यास आयोजित किया। इस ‘दिव्य दृष्टि’ सैन्य अभ्यास में उन्नत तकनीकों, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), ड्रोन और ‘सेंसर-टू-शूटर’ क्षमताओं का सफल परीक्षण किया गया। इस अभ्यास के दौरान सेना ने वास्तविक युद्ध जैसी परिस्थितियों में आधुनिक प्रणालियों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन किया। ‘दिव्य दृष्टि’ अभ्यास भारतीय सेना की तकनीकी क्षमता, युद्ध कौशल और रणनीतिक तत्परता को दर्शाता है, जो भविष्य की युद्ध रणनीतियों को नई दिशा देने वाला कदम माना जा रहा है।
रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, ‘आधुनिक युद्धक्षेत्र में सफलता उन्हीं की होती है जो अधिक देख सकते हैं, तेजी से समझते हैं और तुरंत कार्रवाई कर सकते हैं।’ यह वक्तव्य इस अभ्यास के मूल उद्देश्य को रेखांकित करता है। इस अभ्यास की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता AI-सक्षम सेंसरों और अत्याधुनिक संचार प्रणालियों का प्रयोग था, जिसके चलते कमांड सेंटर्स के बीच सूचनाओं का त्वरित और सुरक्षित आदान-प्रदान संभव हो सका। इससे निर्णय लेने की गति और सटीकता में उल्लेखनीय सुधार दर्ज किया गया। ‘सेंसर-टू-शूटर’ तंत्र को भी इससे काफी मजबूती मिली है।
‘दिव्य दृष्टि’ अभ्यास को ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘डिकेड ऑफ ट्रांसफॉर्मेशन’ जैसे प्रमुख राष्ट्रीय अभियानों के अनुरूप माना जा रहा है। यह अभ्यास भारतीय सेना की स्वदेशीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है, जो तकनीकी आधुनिकीकरण को नई दिशा प्रदान करेगा। बयान में यह भी कहा गया कि यह अभ्यास भारतीय सेना की तकनीकी परिवर्तन और आत्मनिर्भरता के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जो ‘आत्मनिर्भर भारत’ की परिकल्पना और सेना के ‘डिकेड ऑफ ट्रांसफॉर्मेशन’ रोडमैप के अनुरूप है।
अभ्यास की उच्च स्तरीय समीक्षा सेना मुख्यालय की ओर से उपसेनाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल राकेश कपूर ने की। इस अवसर पर त्रिशक्ति कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग, लेफ्टिनेंट जनरल जुबिन ए. मिनवाला ने बताया कि ‘दिव्य दृष्टि’ अभ्यास पूरी तरह सफल रहा और इसके जरिए सेना ने अत्याधुनिक तकनीकों को वास्तविक युद्ध जैसी परिस्थितियों में परखा। उन्होंने कहा कि इस अभ्यास से मिले अनुभव भारतीय सेना की भविष्य की सैन्य रणनीतियों, संचालन सिद्धांतों और तकनीकी नवाचारों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
-(लेखिका आशिका सिंह का पत्रकारिता जगत में 18 वर्षों का अनुभव है, वर्तमान में वे प्रसार भारती न्यूज सर्विस के साथ जुड़ी हैं।)
