
दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शब्दों में, “जब चिप्स डाउन हों, तो आप भारत पर दांव लगा सकते हैं।” उन्होंने यह भी कहा है कि ”आज का भारत दुनिया में विश्वास जगाता है। भारत का सेमीकंडक्टर क्षेत्र एक क्रांति के कगार पर है, जहां अभूतपूर्व प्रगति उद्योग को बदलने वाली है।”
जी हां, आज भारत, सेमीकंडक्टर क्रांति के साथ वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स आपूर्ति श्रृंखला में एक विश्वसनीय और नवाचार-संचालित खिलाड़ी के रूप में उभर रहा है। भारत सेमीकंडक्टर मिशन (ISM), मेक इन इंडिया, और सेमीकॉन इंडिया जैसी पहलों के बल पर डिजिटल इकोनॉमी और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत कर रहा है।
सेमीकंडक्टर: आधुनिक तकनीक की रीढ़
सेमीकंडक्टर चिप्स स्मार्टफोन, कंप्यूटर, उपग्रह, इलेक्ट्रिक वाहन और रक्षा प्रणालियों जैसे आकाश तीर के संचालन का आधार हैं। ये चिप्स, जिनमें लाखों-करोड़ों ट्रांजिस्टर होते हैं, डेटा प्रोसेसिंग और निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करते हैं। यही वहज है कि आज के समय में डिजिटल प्लेटफॉर्म, स्मार्ट उपकरणों और कनेक्टेड इंफ्रास्ट्रक्चर द्वारा उत्पन्न विशाल मात्रा में डेटा को संसाधित और संग्रहीत करने के लिए उन्नत सेमीकंडक्टर-आधारित प्रणालियों पर निर्भरता बढ़ रही है।
महज इतना ही नहीं, चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर ने भारतीय निर्मित सेमीकंडक्टर और AI का उपयोग कर स्वायत्त लैंडिंग की, जो इस तकनीक की ताकत को दर्शाता है। ध्यान देने योग्य है कि कोविड-19 और यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद चिप कमी ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला की नाजुकता को उजागर किया। इसने कारों, मोबाइल फोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स के निर्माण को प्रभावित किया था। वहीं इससे भारत जैसे देशों के लिए अवसर भी खुले।
भारत सेमीकंडक्टर मिशन: एक गेम-चेंजर
दिसंबर 2021 में शुरू हुआ ISM, ₹76,000 करोड़ के निवेश के साथ भारत को सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले निर्माण का वैश्विक केंद्र बनाने की दिशा में काम कर रहा है। इसके प्रमुख उद्देश्य हैं:
निर्माण और डिज़ाइन: चिप फैब्रिकेशन (फैब्स), पैकेजिंग, और डिज़ाइन स्टार्टअप्स को बढ़ावा।
कौशल विकास: 85,000 इंजीनियरों को प्रशिक्षित करने के लिए AICTE और NIEIT जैसे संस्थानों के साथ सहयोग।
वैश्विक साझेदारी: IBM, पर्ड्यू विश्वविद्यालय और माइक्रोन जैसे संस्थानों के साथ तकनीकी नवाचार और प्रतिभा विकास।
हालिया उपलब्धियां
नई सुविधाएं: मई 2025 में, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने नोएडा और बेंगलुरु में 3-नैनोमीटर चिप डिज़ाइन केंद्रों का उद्घाटन किया, जो भारत की तकनीकी प्रगति का प्रतीक है।
HCL-फॉक्सकॉन संयंत्र: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने डिस्प्ले ड्राइवर चिप्स के लिए प्रति माह 20,000 वेफर्स की क्षमता वाले संयंत्र को मंजूरी दी, जो 1,200 नौकरियां सृजित करेगा।
स्वदेशी चिप: ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2025 में घोषणा की गई कि भारत की पहली स्वदेशी चिप इस साल उत्पादन के लिए तैयार होगी। इसके लिए पांच उत्पादन इकाइयां निर्माणाधीन हैं, जो घरेलू क्षमता के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
सेमीकॉन इंडिया 2025: वैश्विक मंच
2-4 सितंबर 2025 को नई दिल्ली में होने वाला सेमीकॉन इंडिया 2025, 18 देशों की 300+ प्रदर्शनी कंपनियों और चार अंतरराष्ट्रीय मंडपों (जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, मलेशिया) के साथ भारत की बढ़ती ताकत को प्रदर्शित करेगा। यह आयोजन कौशल विकास, स्टार्टअप्स, और वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देगा।
बाजार की संभावनाएं
वैश्विक सेमीकंडक्टर बाजार 2030 तक 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। भारत का बाजार, जो 2023 में $38 बिलियन था, 2024-25 में $45-50 बिलियन तक पहुंचा और 2026 तक $63 बिलियन होने का अनुमान है। भारत उपकरण, सामग्री, और सेवाओं (R&D, AI, IoT) में योगदान दे रहा है।
भारत का सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र तेजी से विकसित हो रहा है। ISM और सेमीकॉन इंडिया जैसे प्रयास आयात निर्भरता को कम कर रहे हैं और भारत को वैश्विक सेमीकंडक्टर हब के रूप में स्थापित कर रहे हैं। यह क्रांति न केवल तकनीकी आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही है, बल्कि भारत को वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था में एक मजबूत खिलाड़ी बना रही है। यानी निर्भरता से प्रभुत्व तक, चिप क्रांति वास्तविक है और यह यहीं, अभी भारत में हो रही है। (इनपुट-एजेंसी)