
पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के 7 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज की दूसरी समीक्षा में पांच में से तीन लक्ष्यों को हासिल करने में विफल रहा। इससे भारत का यह रुख सही साबित हुआ कि पाकिस्तान का कर्ज लेने और आईएमएफ की शर्तों को लागू करने का रिकॉर्ड बेहद खराब रहा है।
राजस्व संग्रह और ताजिर दोस्त योजना में चूक
पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार, संघीय राजस्व बोर्ड (एफबीआर) 12.3 लाख करोड़ रुपये के कुल राजस्व संग्रह लक्ष्य और ‘ताजिर दोस्त योजना’ के तहत 50 अरब रुपये जुटाने में नाकाम रहा। यह योजना असंगठित अर्थव्यवस्था पर असर डालने में पूरी तरह विफल साबित हुई।
इसके अलावा, पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय द्वारा जारी वित्तीय संचालन सारांश में यह भी सामने आया है कि प्रांतीय सरकारें भी 1.2 लाख करोड़ रुपये की बचत के लक्ष्य से चूक गईं, क्योंकि खर्च में भारी वृद्धि हुई।
भारत की चेतावनी
भारत ने आईएमएफ के कर्ज का विरोध करते हुए कहा है कि पाकिस्तान इन फंड्स का इस्तेमाल सैन्य गतिविधियों और सीमा पार आतंकवाद के लिए कर सकता है। आईएमएफ की पिछली बैठक में भारत के प्रतिनिधि परमेश्वरन अय्यर ने जोर दिया था कि वैश्विक वित्तीय संस्थानों की प्रक्रियाओं में नैतिक मूल्यों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। भारत ने यह भी कहा कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में सेना का गहरा दखल नीतिगत चूक और सुधारों की वापसी का बड़ा खतरा है।
आईएमएफ पैकेज और पाकिस्तान का इतिहास
सितंबर 2023 में आईएमएफ ने पाकिस्तान के लिए 37 माह की विस्तारित व्यवस्था (ईएफएफ) के तहत 7 अरब डॉलर के पैकेज को मंजूरी दी थी, जिसमें तत्काल 1 अरब डॉलर की किश्त जारी हुई। शुक्रवार को हुई बैठक में इस फंडिंग कार्यक्रम की समीक्षा की गई। भारत ने दोहराया कि यदि पिछली योजनाएं मजबूत आर्थिक नीतियां लागू करने में सफल होतीं, तो पाकिस्तान बार-बार आईएमएफ के पास मदद मांगने नहीं आता।
सेना का प्रभाव और आर्थिक चुनौतियां
भारत ने चेतावनी दी कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में सेना का दबदबा और घरेलू राजनीति में उसका प्रभाव सुधारों के लिए खतरा है। भले ही वर्तमान में नागरिक सरकार सत्ता में हो, सेना का अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों पर नियंत्रण बना हुआ है। पाकिस्तान के खराब रिकॉर्ड से आईएमएफ के कार्यक्रम डिजाइन, निगरानी या पाकिस्तान के क्रियान्वयन पर सवाल उठते हैं।
वहीं पाकिस्तान की इस विफलता ने भारत के रुख को और मजबूत किया है कि आईएमएफ जैसे संस्थानों को कर्ज देने से पहले पाकिस्तान की जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करनी चाहिए। यह स्थिति वैश्विक वित्तीय संस्थानों के लिए नीतिगत सुधारों की जरूरत को रेखांकित करती है। (इनपुट-एजेंसी)

 
														 
														