
केंद्र सरकार ने कहा है कि भारत का लॉजिस्टिक्स सेक्टर 2026 तक 10.7 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से तेजी से बढ़ेगा। सरकार ने बताया कि लॉजिस्टिक्स को इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर का दर्जा देने से इसे सड़क और रेलवे की तरह ही सस्ती और लंबी अवधि की फंडिंग तक पहुंच मिली है। इससे भारत की आर्थिक प्रगति में इसकी भूमिका और मजबूत हुई है।
अभी यह सेक्टर 2.2 करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजगार देता है और लगातार नए अवसर भी पैदा कर रहा है। 2024-25 में अंतर्देशीय जलमार्गों के जरिये रिकॉर्ड 14.55 करोड़ टन माल ढुलाई की गई है। डिजिटलीकरण और यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म (ULIP) जैसे तकनीकी प्लेटफॉर्म आपूर्ति श्रृंखला को और पारदर्शी और कुशल बना रहे हैं।
वहीं केंद्र सरकार की कई पहल जैसे राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (NLP), पीएम गतिशक्ति, जीएसटी और लॉजिस्टिक्स पार्क इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बना रही हैं और लागत घटा रही हैं। राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति सितंबर 2022 में शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य लॉजिस्टिक्स लागत कम करना और व्यापार को आसान बनाना है। इस नीति के तहत लॉजिस्टिक्स डेटा बैंक (LDB) और ULIP जैसी डिजिटल पहलें पहले से पूरी तरह सक्रिय हैं।
गौरतलब है कि इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए अक्टूबर 2021 में पीएम गतिशक्ति मास्टर प्लान शुरू किया गया। इसमें 57 केंद्रीय मंत्रालय/विभाग और सभी 36 राज्य व केंद्र शासित प्रदेश शामिल हैं। इसने 1,700 से अधिक डेटा लेयर्स को एकीकृत किया है, जिससे इंफ्रास्ट्रक्चर की योजना बनाने में तेजी आई है।
रेल मंत्रालय भी दो समर्पित माल ढुलाई गलियारे (DFC) विकसित कर रहा है। इनमें पूर्वी DFC (लुधियाना से सोननगर, 1,337 किमी) और पश्चिमी DFC (जेएनपीटी से दादरी, 1,506 किमी) शामिल हैं। कुल 2,843 किमी में से 2,741 किमी (96.4 प्रतिशत) मार्च 2025 तक चालू हो जाएगा। इन गलियारों से औद्योगिक विकास और तेज होगा और लॉजिस्टिक्स सेक्टर में रोजगार के बड़े अवसर मिलेंगे।-