सेमीकंडक्टर का स्वर, भारत का नया दौर

Author : kanishk Mishra

सेमीकंडक्टर का स्वर, भारत का नया दौर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सेमीकंडक्टर क्षेत्र में एक नया इतिहास रच रहा है। इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) के साथ भारत न केवल तकनीकी आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है, बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक भरोसेमंद सितारा बन रहा है। पीएम मोदी की हालिया जापान यात्रा ने इस क्षेत्र में भारत की महत्वाकांक्षा को और पंख दिए, जिससे वैश्विक सहयोग और नवाचार को नई गति मिली। यह कहानी उस भारत की है, जो डिजिटल अर्थव्यवस्था के केंद्र में सेमीकंडक्टर को आधार बनाकर विश्व मंच पर अपनी चमक बिखेर रहा है। यह कहानी उस भारत की है, जो नवाचार और आत्मविश्वास के बल पर सेमीकंडक्टर क्षेत्र में एक नया स्वर्ण युग रच रहा है, जहां आने वाले समय में हर चिप भारत की आत्मनिर्भरता की कहानी कहेगी। इसी कड़ी में मंगलवार, 2 सितंबर 2025 को, पीएम मोदी सेमीकॉन इंडिया 2025 का उद्घाटन करेंगे, जो भारत की इस यात्रा को और गति देगा।

इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन : आत्मनिर्भरता की नींव

दिसंबर 2021 में शुरू हुआ इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन 76,000 करोड़ रुपए की लागत से भारत को सेमीकंडक्टर डिजाइन, विनिर्माण, और पैकेजिंग का वैश्विक हब बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर है। यह मिशन सेमीकंडक्टर फैब्स, डिस्प्ले फैब्स, और चिप डिजाइन स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन देता है। 2023-2025 के बीच, 6 राज्यों में 1.60 लाख करोड़ रुपए के निवेश के साथ 10 परियोजनाएं स्वीकृत हुईं। गुजरात के साणंद में कायन्स सेमीकॉन की इकाई प्रतिदिन 60 लाख चिप्स की क्षमता के साथ स्थापित हो रही है। नोएडा और बेंगलुरु में 3-नैनोमीटर चिप डिजाइन केंद्र भारत की तकनीकी क्षमता को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित कर रहे हैं। 15 अगस्त 2025 को यह याद करते हुए कि कैसे 50-60 साल पहले सेमीकंडक्टर कारखाने स्थापित करने के प्रयास “शुरुआत के समय ही समाप्त” हो गए थे, जबकि अन्य देश समृद्ध हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की कि भारत अब मिशन मोड में है। इस वर्ष के अंत तक, देश अपनी पहली मेड इन इंडिया चिप का शुभारंभ करेगा।

वैश्विक साझेदारी : सिलिकॉन कूटनीति की चमक

पीएम मोदी की 29-30 अगस्त 2025 की जापान यात्रा ने सेमीकंडक्टर क्षेत्र में भारत-जापान सहयोग को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। सेंडाई में जापानी पीएम शिगेरु इशिबा के साथ टोक्यो इलेक्ट्रॉन मियागी लिमिटेड (टीईएल) के दौरे के दौरान दोनों नेताओं ने लचीली और विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखला के लिए प्रतिबद्धता जताई। भारत-जापान डिजिटल साझेदारी 2.0 और आर्थिक सुरक्षा पहल ने संयुक्त अनुसंधान और आपूर्ति श्रृंखला के अनुकूलन को बढ़ावा दिया। यह साझेदारी भारत की डिजाइन क्षमता और जापान की उन्नत उपकरण तकनीक का तालमेल है।

कौशल विकास : नया भारत, नई प्रतिभाएं

सेमीकंडक्टर क्षेत्र में भारत को 2030 तक 10 लाख कुशल श्रमिकों की आवश्यकता होगी, और आईएसएम इस दिशा में तेजी से काम कर रहा है। 278 कॉलेजों में इलेक्ट्रॉनिक्स डिजाइन एप्लीकेशन (ईडीए) टूल्स पढ़ाए जा रहे हैं, और 60,000 से अधिक लोग प्रशिक्षित हो चुके हैं। डिजाइन लिंक्ड प्रोत्साहन (डीएलआई) योजना ने 22 कंपनियों को 234 करोड़ रुपए का समर्थन दिया, जिससे स्टार्टअप्स ने 380 करोड़ रुपए का वेंचर कैपिटल जुटाया। वहीं 17 संस्थानों द्वारा 20 चिप्स का निर्माण भारत की बढ़ती डिजाइन क्षमता को दर्शाता है। मलेशिया, जापान, और सिंगापुर जैसे देशों के साथ सहयोग भारत को नवाचार का केंद्र बना रहा है।

आर्थिक प्रभाव : वैश्विक बाजार में भारत की धमक

 भारत का सेमीकंडक्टर बाजार 2023 में 38 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2024-25 में 45-50 बिलियन डॉलर तक पहुंचा, और 2030 तक इसके 100 से 110 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। वैश्विक सेमीकंडक्टर बाजार 2030 तक 1 ट्रिलियन डॉलर का होगा, जिसमें भारत 10% हिस्सेदारी का लक्ष्य रखता है। पीएलआई योजना ने 14 क्षेत्रों में 1.76 लाख करोड़ रुपए का निवेश आकर्षित किया, जिससे रोजगार और निर्यात को बढ़ावा मिला।