
विदेश मंत्री एस. जयशंकर सोमवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) सत्र के दौरान अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो से मुलाकात करेंगे। अधिकारियों ने पुष्टि की कि यह बातचीत द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और हाल के महीनों में दोनों देशों के बीच उत्पन्न मतभेदों को दूर करने की दिशा में एक अहम कदम होगी।
यह इस साल जयशंकर और रुबियो की तीसरी आमने-सामने बैठक होगी। इससे पहले दोनों नेताओं की मुलाकात 1 जुलाई को वॉशिंगटन में क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान हुई थी। जनवरी में भी जयशंकर ने रुबियो से वॉशिंगटन में मुलाकात की थी, जब उन्होंने पदभार संभालने के कुछ ही दिनों बाद क्वाड मीटिंग में हिस्सा लिया था।
सोमवार की मुलाकात ऐसे समय हो रही है जब भारत-अमेरिका संबंधों में व्यापार शुल्क और रूस से तेल खरीद को लेकर तनाव बढ़ गया है। अमेरिका ने 27 अगस्त से भारतीय सामानों पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है।
यह बैठक ऐसे समय पर भी हो रही है जब भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल वॉशिंगटन में व्यापार वार्ता के लिए भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं।
जयशंकर और रुबियो की मुलाकात खास तौर पर अहम मानी जा रही है क्योंकि हाल ही में ट्रंप प्रशासन ने एच-1बी वीजा फीस को 1 लाख डॉलर करने का फैसला लिया है। इस फैसले से टेक इंडस्ट्री में हलचल मच गई है और उन कर्मचारियों में अनिश्चितता बढ़ गई है जो इस वीजा पर निर्भर हैं।
हालांकि, व्हाइट हाउस ने आईएएनएस को बताया कि यह “एक बार की फीस” है, जो केवल नए वीजा आवेदनों पर लागू होगी, मौजूदा वीजा धारकों या नवीनीकरण पर नहीं।
व्हाइट हाउस प्रेस सचिव कैरोलीन लेविट ने भी एक्स (X) पर लिखा:
“जो लोग पहले से एच-1बी वीजा धारक हैं और अभी देश के बाहर हैं, उनसे दोबारा प्रवेश पर 1 लाख डॉलर नहीं लिया जाएगा। एच-1बी वीजा धारक देश छोड़कर वापस आ सकते हैं।”
