
उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) राजीव कृष्णा ने गुरुवार को कासगंज में आयोजित परिक्षेत्र स्तरीय साइबर जागरूकता कार्यशाला का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि आर्थिक साइबर अपराधों के तीन बड़े कारण, लालच, भय और लापरवाही हैं।
कार्यक्रम में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, जिला प्रशासन, शिक्षक-छात्र, व्यापारी, बैंक व सर्राफा प्रतिनिधि तथा विभिन्न जिलों के साइबर सेल अधिकारी शामिल हुए
परिक्षेत्र स्तरीय साइबर जागरूकता कार्यशाला में एडीजी जोन आगरा, डीआईजी अलीगढ़ रेंज, डीएम कासगंज, एसपी कासगंज, अलीगढ़, हाथरस और एटा सहित विभिन्न स्कूलों के शिक्षक-छात्र, व्यापारी संगठन, बैंक अधिकारी, सर्राफा एसोसिएशन के पदाधिकारी तथा ऑनलाइन माध्यम से जुड़े विभिन्न जिलों के साइबर सेल और पुलिस अधिकारी मौजूद रहे।
डीजीपी राजीव कृष्णा ने कहा कि पिछले वर्षों में डिजिटल जीवन शैली ने समाज में बड़ा परिवर्तन लाया है
डीजीपी राजीव कृष्णा ने कहा कि पिछले वर्षों में डिजिटल जीवन शैली ने समाज में बड़ा परिवर्तन लाया है। डिजिटल भुगतान, सोशल मीडिया और ऑनलाइन सेवाएं अब हर घर का हिस्सा बन चुकी हैं। भारत प्रति व्यक्ति डिजिटल वित्तीय लेन-देन में विश्व में प्रथम स्थान पर है, जबकि कोविड के बाद ई-कॉमर्स में अभूतपूर्व 60-70 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। उन्होंने कहा कि इंटरनेट सुविधा के साथ-साथ इसके दुरुपयोग में भी तेज वृद्धि हुई है, इसलिए इंटरनेट का जिम्मेदारी से उपयोग अत्यंत आवश्यक है।
डीजीपी ने बताया कि बच्चे साइबर बुलिंग, महिलाएं स्टॉकिंग और बुज़ुर्ग डिजिटल अरेस्ट जैसी ठगी के शिकार हो रहे हैं
डीजीपी ने समाज पर बढ़ते साइबर अपराधों के प्रभाव का उल्लेख करते हुए कहा कि बच्चे साइबर बुलिंग, महिलाएं स्टॉकिंग और वरिष्ठ नागरिक डिजिटल अरेस्ट जैसी नई धोखाधड़ी का शिकार हो रहे हैं। विशेषकर एपीके फाइलों पर क्लिक करना सबसे खतरनाक है, जिससे पूरा फोन हैक हो जाता है।
ठगी होने पर तुरंत 1930 पर कॉल करें, 30 मिनट में रिपोर्ट करें और सही जानकारी दें, युवाओं को ऑनलाइन लत से बचने और अभिभावकों को सतर्क रहने की सलाह दी
नागरिकों को साइबर अपराध से बचाव के लिए तीन महत्वपूर्ण उपाय बताते हुए उन्होंने कहा कि ठगी होने पर तत्काल 1930 पर कॉल करें, गोल्डन टाइम फ्रेम (30 मिनट) के भीतर रिपोर्ट करें और सही तथ्यों की जानकारी उपलब्ध कराएं। उन्होंने युवाओं को ऑनलाइन गेमिंग और सोशल मीडिया की लत से बचने की सलाह दी और अभिभावकों को सतर्क रहने की अपील की।
एसओपी आधारित जांच से थाने स्तर पर भी साइबर मामलों की प्रोफेशनल जांच संभव है, मजबूत पासवर्ड, अपडेटेड सॉफ्टवेयर और सतर्कता को साइबर सुरक्षा की बुनियाद बताया
पुलिस अधिकारियों को संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि साइबर अपराध की जांच एसओपी आधारित और सरल है, इसलिए थाना स्तर पर भी साइबर मामलों की पेशेवर जांच संभव है। नागरिक सहभागिता पर जोर देते हुए डीजीपी ने कहा कि मजबूत पासवर्ड, अपडेटेड सॉफ्टवेयर और सतर्कता साइबर सुरक्षा की बुनियाद हैं।
सुरक्षित डिजिटल उत्तर प्रदेश तभी संभव है जब जनता और पुलिस दोनों मिलकर काम करें
उन्होंने कहा, “सुरक्षित डिजिटल उत्तर प्रदेश तभी संभव है जब जनता और पुलिस दोनों मिलकर काम करें। साइबर क्राइम जितनी तेजी से बढ़ता है, उतनी ही तेजी से नियंत्रित भी किया जा सकता है। जरूरत केवल जागरूकता की है।”(
