
थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता की सराहना करते हुए इसे भारत की संतुलित, सटीक और दृढ़ प्रतिक्रिया क्षमता का प्रभावशाली उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि इस अभियान ने देश की सैन्य तत्परता और संकल्प को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किया है। जनरल द्विवेदी ने यह भी कहा कि सूचना युद्ध, साइबर और अंतरिक्ष जैसे नए डोमेन आधुनिक युद्धक्षेत्र को आकार देने में निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं।
सेना भविष्य की चुनौतियों के अनुरूप तैयार
उन्होंने कहा कि भारतीय सेना तेजी से ‘फ्यूचर रेडी’ बल में परिवर्तित हो रही है। तकनीक के माध्यम से मानव संसाधन का सशक्तिकरण, सुव्यवस्थित क्षमता संवर्धन और संगठनात्मक पुनर्संरचना की प्रक्रिया निरंतर जारी है, जो सेना को भविष्य की चुनौतियों के अनुरूप तैयार बनने में मदद कर रही है। सेना प्रमुख ने यह बातें बुधवार को इन्फैंट्री स्कूल में कही।
‘पड़ोसी प्रथम’ नीति भारत की विदेश एवं सुरक्षा नीति का अहम स्तंभ
मध्य प्रदेश के महू स्थित इन्फैंट्री स्कूल में 38वां इन्फैंट्री कमांडर्स’ कॉन्फ्रेंस आयोजित किया गया। दो दिवसीय इस महत्वपूर्ण सम्मेलन की अध्यक्षता थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने की। अपने संबोधन में उन्होंने भारत की रणनीतिक स्वायत्तता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता को रेखांकित किया और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति को भारत की विदेश एवं सुरक्षा नीति का अहम स्तंभ बताया। उन्होंने कहा कि सैन्य कूटनीति की भूमिका लगातार बढ़ रही है, जो मित्र देशों के साथ विश्वास और सहयोग को मजबूत करने में सहायक है।
सैन्य नेतृत्व में चल रही परियोजनाओं का समग्र मूल्यांकन
इस अवसर पर महानिदेशक इन्फैंट्री ने निदेशालय की ओर से सैद्धांतिक परिष्करण, स्वदेशीकरण और व्यावसायिक सैन्य शिक्षा के माध्यम से क्षमता निर्माण की निरंतर प्रक्रिया के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। यह सम्मेलन इन्फैंट्री से जुड़े मामलों पर विचार-विमर्श का सर्वोच्च मंच है। सम्मेलन में संचालनात्मक तैयारियों, बल संरचना, क्षमता विकास, प्रशिक्षण तथा कल्याणकारी पहलों की व्यापक समीक्षा की गई। वरिष्ठ सैन्य नेतृत्व ने चल रही परियोजनाओं का समग्र मूल्यांकन किया और इन्फैंट्री के भविष्य की प्राथमिकताओं को रेखांकित किया।
स्वदेशी समाधानों के माध्यम से आधुनिकीकरण को गति
दो दिनों तक आयोजित इस सम्मेलन में कई महत्वपूर्ण विषयों पर मंथन हुआ। इनमें उभरती तकनीकों के एकीकरण, ऑपरेशनल तैयारी को सुदृढ़ करने तथा आत्मनिर्भर भारत के विजन के अनुरूप स्वदेशी समाधानों के माध्यम से आधुनिकीकरण को गति देने पर विस्तृत चर्चा शामिल रही।
बहु-डोमेन युद्धक्षेत्र में इन्फैंट्री की प्रभावशीलता बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण उपलब्धि
सम्मेलन में संगठनात्मक सुधारों के प्रभावी क्रियान्वयन पर विशेष जोर दिया गया। इन सुधारों का उद्देश्य संचालनात्मक दक्षता और रणनीतिक फुर्ती को बढ़ाना है। भैरव बटालियनों और ड्रोन प्लाटूनों जैसी प्रमुख पहलों को बहु-डोमेन युद्धक्षेत्र में इन्फैंट्री की प्रभावशीलता बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण उपलब्धियां बताया गया। ये सुधार इन्फैंट्री को नेटवर्क-सक्षम, तकनीक-आधारित और चुस्त बल में बदलने की दिशा में निर्णायक कदम हैं।
वीरता, पेशेवर उत्कृष्टता और राष्ट्र के प्रति समर्पण के सर्वोच्च मानकों को बनाए रखने की सामूहिक प्रतिबद्धता
सम्मेलन का समापन वीरता, पेशेवर उत्कृष्टता और राष्ट्र के प्रति समर्पण के सर्वोच्च मानकों को बनाए रखने की सामूहिक प्रतिबद्धता के साथ हुआ। इसमें उप सेनाध्यक्ष, आर्मी कमांडर्स, इन्फैंट्री से जुड़े अधिकारी, महानिदेशक इन्फैंट्री, विभिन्न रेजिमेंटों के कर्नल, रेजिमेंटल सेंटर्स के कमांडेंट तथा भारतीय सेना की विभिन्न इन्फैंट्री संरचनाओं के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। (इनपुट: आईएएनएस)
